कैसे लगे गिरते भू-जल स्तर पर रोक, राजस्व अभिलेखों में दर्ज हैं 10,000 तालाब, 6,000 ढूंढो तो जानें...

कैसे लगे गिरते भू-जल स्तर पर रोक, राजस्व अभिलेखों में दर्ज हैं 10,000 तालाब, 6,000 ढूंढो तो जानें...

लखनऊ/अमृत विचार। यूं तो राजस्व अभिलेखों में करीब 10,000 तालाब दर्ज हैं। लेकिन इनमें से करीब 6,000 तालाब और पोखर गायब हो गए हैं। अधिकांश पर अतिक्रमण हो चुका है। उनमें से ज्यादातर पर शानदार भवन बन गए हैं। इसका परिणाम भू-जल रीचार्जिंग पर पड़ रहा है। एक ओर जहां तालाबों पर हुए कब्जों से भू-जल स्तर को रीचार्ज नहीं किया जा पा रहा है। वहीं, बची कसर अंधाधुंध जलादोहन पूरा कर रहा है। हाल यह है कि राजधानी का भू-जल स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। शहर के कई इलाके तो ऐसे हैं जहां जलस्तर 30 मीटर नीचे खिसक चुका है।

लगातार गिरते जलस्तर को देखते हुए सरकार ने वर्षा के जल को भू-जल संरक्षण का एकमात्र विकल्प माना। लिहाजा तालाब और पोखरों से अतिक्रमण हटाने का फैसला किया गया, जिससे इस समस्या का समाधान हो। ऐसा नहीं है कि इस पर कार्रवाई शुरू नहीं हुई। कार्रवाई तो हुई, लेकिन वह भी कुछ स्थानों तक ही सीमित रह गई। सरकार द्वारा सभी सरकारी इमारतों में वर्षा जल संचयन के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना भले ही अनिवार्य कर दिया है, लेकिन यह योजना अभी पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पायी है। अधिकांश सरकारी भवनों में तो यह सिस्टम लगा है, लेकिन निजी भवनों में तो यह महज कागजों के नक्शों तक ही सिमट कर रह गए।

पुराने स्वरूप में नहीं लौट पाए तालाब

शहर हो या गांव हर जगह तालाबों पर अतिक्रमण कर लोगों ने मकान बना लिए हैं। बिल्डरों ने तहसील कर्मियों की मिलीभगत से इन तालाबों पर अवैध प्लाॅटिंग कर भूखंड बेच दिए। तालाबों पर मकान बन जाने से शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जलनिकासी की समस्या बढ़ी है। तालाब खत्म हो जाने से भू-जल स्तर भी तेजी से गिरा है। 2017 में भाजपा सरकार आते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तालाबों से अवैध कब्जे हटा उन्हें पुराने स्वरूप में लौटाने के निर्देश दिए थे। शुरुआती दौर में तो कार्रवाई हुई और तालाबों से अतिक्रमण भी हटाए गए। लेकिन आज भी इन तालाबों को पुराने स्वरूप में नहीं लौटाया जा सका है।

रोज एक हजार करोड़ लीटर भू-जल का हो रहा दोहन

शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील होते जा रहे हैं। खेतों में प्लाॅटिंग कर मकान खड़े कर दिए गए हैं। इन भवनों के निर्माण में भी भू-जल का जमकर दोहन हो रहा है। बड़े बिल्डर कॉमर्शियल भवनों से लेकर आवासीय योजना के लिए भू-जल का दोहन करते हैं। जलकल विभाग 750 ट्यूबवेल पम्प से पेयजल आपूर्ति के लिए, निजी कॉलोनियां, बहुमंजिला इमारतें, निजी प्रतिष्ठान, सरकारी कार्यालयों के परिसर व घर-घर लगे सबमर्सिबल बोरिंग से रोजाना बेहिसाब ढंग से लगभग 1,000 करोड़ लीटर भू-जल निकाला जा रहा है। भू-जल दोहन के खिलाफ प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गयी है।

जानें क्या है रेन वाटर हार्वेस्टिंग

बारिश का पानी सतह और नालियों में बहकर नष्ट हो जाता है। नष्ट होने से पहले इसे जमीन में गड्ढा खोदकर एकत्रित करने की तकनीक को वर्षा जल संचयन (रेन वाटर हार्वेस्टिंग) कहते हैं। इसमें छत के आकार के अनुसार 30 से 100 फीट तक गहरा बोरिंग कराना होता है। फिर बोल्डर, बालू और अन्य सामग्री डालकर शॉकपिट भरा जाता है। भवन की छत पर जमा होने वाले वर्षा जल को पाइप की मदद से शॉकपिट में पहुंचाया जाता है। यह पानी बोरिंग से होते हुए जमीन के रिस-रिसकर धीरे-धीरे अंदर पहुंच जाता है। इससे भू-जल स्तर रीचार्ज होकर बढ़ता है।

सरकारी भवनों में लगा सिस्टम 

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सरकारी इमारतों में तो लगा है, लेकिन निजी भवनों में यह सिर्फ नक्शों तक सिमट कर रह गया है। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अपने सभी कार्यालयों में यह सिस्टम लगाया है। अपनी योजनाओं में स्थित 2,000 वर्ग फिट से अधिक क्षेत्रफल के भवनों के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य भी किया गया है, लेकिन इसका अनुपालन नहीं कराया जा रहा है। आवंटी नक्शे में तो रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम दिखा देते हैं, लेकिन उसकी जगह बेसमेंट बना व्यावसायिक इस्तेमाल कर रहे हैं।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कागज पर तो है, लेकिन जमीनी धरातल पर काम नहीं कर रहा है। इसे आगे बढ़ाने के लिए सरकार और संस्थाओं को आगे आना होगा। देखने की बात यह है कि सरकारी भवनों में यह सिस्टम लगा तो है लेकिन उससे पानी जमीन में जा भी रहा है या नहीं, इसे परखना होगा। इसके अलावा यह भी ध्यान रखना होगा कि बारिश का जो पानी पाइप के जरिए जमीन में जा रहा है वह प्रदूषित तो नहीं है। नहीं तो दूषित पानी भू-जल को भी प्रदूषित कर देगा। रीचार्जिंग के लिए तालाबों को खाली कराना पड़ेगा..., ध्रुवसेन सिंह, प्रोफेसर, भू-विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय।

यह भी पढ़ें:-बहराइच में चली तबादला एक्सप्रेस: आठ चौकी इंचार्ज समेत 14 के कार्य क्षेत्र में बदलाव, देखें लिस्ट