अयोध्या में सीता व तीनों भाइयों संग राम आज झूले पर होंगे विराजमान
मंदिरों में शुरू हो जाएगा झूलनोत्सव, दो माह तक चलेगा कजरी गीत व संगीत का आयोजन
अयोध्या, अमृत विचार। सावन प्रारंभ होने की पूर्व संध्या पर गुरु पूर्णिमा से प्राचीन मंदिर रंग महल और सद्गुरु सेवासदन मंदिर में भगवान का झूलनोत्सव प्रारंभ हो जाएगा। इसके साथ ही मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी शुरुआत हो जाएगी, जो कि दो माह तक जारी रहेगी।
रामनगरी में 8000 मठ-मंदिर हैं। जहां पर अनोखी परंपरा निभाई जाती है। अयोध्या वैसे तो भगवान श्रीरामलला की जन्मस्थली है, लेकिन यहां पर माता जानकी के भी उपासक मंदिर स्थित हैं, जहां सखी संप्रदाय की परंपरा के मुताबिक पूजन अर्चन और उत्सव को मनाया जाता है। सोमवार शाम को राम जन्मभूमि परिसर के निकट स्थित रंग महल और सरयू तट स्थित सद्गुरु सदन मंदिर में भगवान राम व तीनों भाइयों के साथ माता-सीता को भी झूले पर विराजमान किया जाएगा। प्राचीन रंग महल के महंत राम शरण दास ने कहा कि आचार्यों की परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है। गुरु पूर्णिमा पर भगवान का झूलनोत्सव प्रारंभ हो जाता है। रंग महल सहित दो और स्थान ऐसे हैं जहां पर झूलनोत्सव प्रारम्भ होता है। गुरु पूर्णिमा पर भगवान और माता सीता को शाम होते ही झूले पर विराजमान कराए जाने के साथ ही उत्सव की शुरुआत हो जाती है। पूरे दो माह कजरी गीत, संगीत का आयोजन किया जाएगा।
चांदी के झूले पर विराजमान होंगे रामलला
राम जन्मभूमि के अस्थाई मंदिर में विराजमान रामलला को सावन माह में नाग पंचमी से 21 किलो चांदी से बने झूले पर तीनों भाइयों संग विराजमान कराया जाएगा। इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान, राम चरित मानस का पाठ, गीत संगीत होगा। इस वर्ष झूलनोत्सव का आयोजन अस्थाई मंदिर में अंतिम होगा। रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि अगले वर्ष 2024 में यह उत्सव बड़े ही भव्यता और दिव्यता के साथ मनाया जाएगा।
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