Kanpur News : गुमशुदा बच्चों का कैसे चले पता, वेबसाइट ही लापता, एक क्लिक में मिलती थी जानकारी, पढ़ें- पूरी खबर

कानपुर में सफेद हाथी बन कर रह गई है गुमशुदा बच्चों की वेबसाइट।

Kanpur News : गुमशुदा बच्चों का कैसे चले पता, वेबसाइट ही लापता, एक क्लिक में मिलती थी जानकारी, पढ़ें- पूरी खबर

कानपुर में गुमशुदा बच्चों की वेबसाइट सफेद हाथी बन कर रह गई है। महिला एंव बाल विकास मंत्रालय ने 2014 में लॉच किया था।

कानपुर, [कुशाग्र पांडेय]। बच्चों के गायब होने से परेशान अभिभावकों की मदद के लिए महिला एंव बाल विकास मंत्रालय ने पहल करते हुए वेबसाइट और एप लॉच किया था। जिसके जरिए अभिभावक घर बैठे यह देख सकते थे कि पुलिस या अन्य एजेंसी उनके बच्चों को ढूंढ़ने के लिए क्या कर रही है, लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि यह वेबसाइट और एप सालों से अपडेट नहीं हुआ है। जिसका नतीजा यह है कि वेबसाइट और एप सिर्फ सफेद हाथी बन रह गए है। 

एक क्लिक में मिलती थी गायब बच्चों की जानकारी

यह वेबसाइट पूरे देश के लिए बनाई गई थी। इसमें पूरे देश के पुलिस स्टेशन जुड़े थे। जिनको अपने थाने क्षेत्र में गायब हुए बच्चों की जानकारी वेबसाइट में अपलोड करनी होती थी। साथ ही अभिभावक भी गायब बच्चे की जानकारी वेबसाइट में अपलोड कर सकते है। वेबसाइट के जरिए थानों में जानकारी पहुंचती थी। घर बैठे अभिभावकों को एक क्लिक के जरिए गुमशुदा बच्चे की स्टेटस रिपोर्ट मिल जाती थी। उनको वेबसाइट या एप के जरिए पता लग जाता था कि पुलिस बच्चे को खोजने के लिए क्या प्रयास कर रही है, लेकिन कई सालों से यह काम बंद हो गया है। अब तो इस बारे में थानेदारों को भी कुछ नहीं मालूम है। 

2014 में लॉच की गई थी बेवसाइट 

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2014 में गायब बच्चों की जानकारी के लिए एनआईसी के जरिए एक सॉफ्टवेयर बनवाया है। जिसमें गुमशुदा बच्चे की सूचना और जानकारी सीधे अपलोड की जा सकती है। पीड़ित परिवार वेबसाइट https://trackthemissingchild.gov.in के जरिए जानकारी हासिल कर सकते थे। इसके लिए देश के सभी शहरों से डाटा एकत्र किया गया था। 

इस तरह काम करती थी वेबसाइट

इस वेबसाइट में जिस भी गुमशुदा बच्चे की जानकारी अपलोड की जाती थी। वेबसाइट में हर सप्ताह उस बच्चे  की स्टेटस रिपोर्ट अपलोड की जाती थी। साथ ही वेबसाइट के जरिए फेसबुक, ट्वीटर समेत अन्य सोशल प्लेटफार्म में अपील के साथ गुमशुदा बच्चे की फोटो और सारी जानकारी शेयर की जाती थी, ताकि गुमशुदा बच्चे के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास जानकारी पहुंच सकें। 

2019 के बाद से नहीं हुआ कोई अपडेट

इस वेबसाइट में लाखों गुमशुदा बच्चों के फोटो और जानकारी अपलोड है। 2019 के बाद इस वेबासाइट में कोई जानकारी अपडेट नहीं की गई है। वेबसाइट के जरिए आखिरी अपडेट 30 मार्च 2019 को वेस्ट बंगाल से गुमशुदा आकाश राय का किया गया था। इसके बाद से वेबसाइट के जरिए किसी भी सोशल प्लेटफार्म में किसी भी गुमशुदा बच्चे की जानकारी अपलोड नहीं की गई है। 

खोया पाया जैसे महत्वपूर्ण टूल नहीं खुल रहे

इस वेबसाइट में गुमशुदा बच्चों की अपडेट लेने के लिए खोया पाया टूल है, लेकिन यह टूल खुलता ही नही है। हर बार तकनीकि दिक्कत लिखकर आ जाता है। हालांकि आप वेबसाइट में गुमशुदा बच्चे की जानकारी अपलोड कर सकते है, लेकिन वेबसाइट के जरिए आपको बच्चे की स्टेटस रिपोर्ट नहीं मिलेगी।

फेसबुक पेज की प्रोफाइल में गलत नंबर पड़ा है

महिला एंव बाल विकास मंत्रालय की एस वेबसाइट से फेसबुक पेज बनाया गया था। नेशनल ट्रैकिंग सिस्टम फॉर मिंसिंग और वल्नरेवल चिल्ड्रिन नाम से फेसबुक पेज है। जिसमें जो मोबाइल नंबर डाला गया है। वह भी गलत है। उसमें बात करने पर पता चला कि वह नंबर कोलकाता निवासी किसी प्राइवेट कर्मी का है। 

क्यो होता है बच्चों का अपहरण

फिरौती वसूलने के लिए 
भीख मांगवाने वाले, मादक पदार्थ की तस्करी के लिए
बाल मजदूरी समेत अन्य काम कराने के लिए 
बच्चों विशेषरूप से लड़कियों को यौन शोषण और अनैतिक देह व्यापार के लिए 
नि:संतान दंपत्ति को बच्चा बेचने के लिए 
अंग प्रत्यारोपण के लिए 
धार्मिक अंध विश्वास और तांत्रिक क्रियाओं में बलि देने के लिए