सुलतानपुर : किसानों का चीनी मिल पर 4.88 करोड़ का बकाया
गन्ना तौल के 14 दिन के अंदर भुगतान का था आदेश
सुलतानपुर, अमृत विचार। जनपद के गन्ना किसानों के लिए स्थापित इकलौती किसान सहकारी चीनी मिल वरदान के बजाय अभिशाप बनी हुई है। इस वित्तीय वर्ष में गन्ना किसानों का चीनी मिल पर 4.88 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया है। बेची गई फसल का मूल्य समय से न मिलने पर आगामी फसल की तैयारी के लिए किसान परेशान हैं। मिल प्रशासन गन्ना किसानों को उनका पैसा न देकर टरका रहा है।
गोसाईगंज थाना क्षेत्र के लखनऊ बलिया राजमार्ग पर सैदपुर के पास जनपद की इकलौती किसान सहकारी चीनी मिल का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र द्वारा 3 मार्च 1984 को किया गया था। चीनी मिल स्थापित हो जाने से जनपद के किसानों को बड़ी राहत मिली थी। लेकिन कुछ वर्षों से मरम्मत के अभाव में किसान सहकारी चीनी मिल अपनी दुर्दशा पर आसू बहा रहा है। मिल कब चलती है कब तकनीकी खामी के चलते बंद हो जाए किसानों को पता नहीं चल पाता है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में मरम्मत कार्य के चलते देर से संचालन भी हुआ था। बताते चलें कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में किसान सहकारी चीनी मिल में 8 लाख 86 हजार 361 कुंतल गन्ने की पेराई हुई है। 23 मार्च को चीनी मिल बंद हो गई। किसानों का कुल गन्ना मूल्य 30 करोड़ 84 लाख 73 हजार रुपये हुआ था। जिसमें से चीनी मिल ने 25 करोड़ 96 लाख 17 हजार रुपये का भुगतान किसानों को कर दिया है। चार करोड़ 88 लाख 56 हजार रुपये का भुगतान किसानों का अब भी बाकी है। गन्ने का मूल्य नहीं मिलने से खेतीबाड़ी का काम प्रभावित हो रहा है। इससे गन्ना किसानों में रोष है।
14 दिन में खाते में पैसा भेजने का था आदेश
इस साल शासन ने 14 दिन के अंदर किसानों के खाते में गन्ना मूल्य का भुगतान करने के आदेश दिया था। जिसको चीनी मिल के अधिकारी अमलीजामा नहीं पहना सके हैं। किसान सहकारी चीनी मिल को बंद हुए 2 माह से अधिक समय हो चुका है। पर अब तक गन्ना किसानों का पैसा उनके अकाउंट में नहीं पहुंच सका है। वही किसानों के खेती-किसानी का ये समय है, किसान धान की रोपाई करने के लिए खेत तैयार कर रहा है। गन्ने की बुआई कर चुके किसानों को फसल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए निराई-गुड़ाई व उर्वरक के साथ रोगों से रोकथाम के लिए दवाओं की जरूरत है। लेकिन पैसा पास नहीं होने से किसान लाचार है।
वर्जन ...
किसानों के बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान करने के लिए शासन को मांग पत्र भेजा गया है। रुपया मिलते ही गन्ना किसानों के खातों में भेज दिया जाएगा।
- प्रताप नारायण, महाप्रबंधक किसान सहकारी चीनी मिल
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