बायोफ्लॉक पद्धति से मछली उत्पादन कर चाईबासा के युवा लिख रहे आत्मनिर्भरता की कहानी

बायोफ्लॉक पद्धति से मछली उत्पादन कर चाईबासा के युवा लिख रहे आत्मनिर्भरता की कहानी

रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश पर संक्रमण काल में प्रारंभ की गई अधिसूचित योजनाएं अब सुखद परिणाम सामने लेकर आ रहीं हैं। इससे एक ओर जहां पलायन कम हुआ है, वहीं युवा अब मछली पालन कर आत्मनिर्भर बन रहें हैं। यही वजह है कि राज्य में वित्तीय वर्ष 2022-23 करीब 23 हजार टन अधिक मछली का उत्पादन हुआ। साथ ही, मछली उत्पादन के कारोबार से 1.65 लाख किसान एवं मत्स्य पालक जुड़े।

ये भी पढ़ें - संजय राउत ने दी शिंदे-फडणवीस सरकार चुनाव कराने की चुनौती

संक्रमण काल के दौरान प्रारंभ की गई अधिसूचित योजनाओं का लाभ लाभुकों को देने में चाईबासा जिला प्रशासन आगे रहा। यहां के युवाओं ने भी आगे बढ़कर योजनाओं का लाभ लिया। यहां के युवाओं ने बायोफ्लॉक तकनीक की मदद से जमीन के छोटे भू- भाग पर कम पानी एवं औसत लागत के बाद कोमोनकार/मोनोसेल्स/तेलपियी जैसी प्रजाति की मछली का पालन कर प्रति टैंक 4-5 क्विंटल उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं।

पूर्व में बेरोजगारी की वजह से पलायन की मंशा रखने वाले यहां के युवाओं को जिला मत्स्य कार्यालय के तत्वाधान में कोविड-19 आपदा के दौरान अधिसूचित योजना के तहत 40 से 60% अनुदान पर संचालित तकनीक से प्रोत्साहित कर लाभान्वित किया गया, परिणाम स्वरूप आज सभी अपने क्षेत्र में रहकर बेहतर जीवकोपार्जन कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें - बिहार: औरंगाबाद में दो नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

ताजा समाचार

बहराइच : लापता छात्रा का तालाब में उतरता मिला शव, हत्या की आशंका
Prayagraj News : भाजपा नेता ने पुलिसकर्मियों पर लगाया पिटाई करने का आरोप
Kanpur में अलाव तापने से घर में लगी आग: दमघोटू धुएं से महिला व बच्चे हुए बेहोश, दमकलकर्मियों ने तीनों को बाहर निकालकर पाया काबू
School closed in UP: बच्चे हुए खुश, दो दिनों के लिए बढ़ी छुट्टी, अब इस दिन से खुलेंगे स्कूल...
उन्नाव में युवक ने चचेरी बहन पर हथौड़े से ताबड़तोड़ वार कर की नृशंस हत्या: आरोपी शव के पास बैठा रहा
Prayagraj News :प्रशासनिक अधिकारियों को कोर्ट की अनुमति के बिना किसी कार्यवाही के मूल अभिलेखों में सुधार की अनुमति नहीं