देहरादून: केदारनाथ में paytm QR बोर्ड लगाने के बारे में मंदिर समिति को कोई जानकारी नहीं.....! अब पुलिस कर रही जांच

देहरादून, अमृत विचार। केदारनाथ व बदरीनाथ मंदिर में पेटीएम क्यूआर कोड के बोर्ड का मामला अब तेज हो गया है। फिलहाल मंदिर समितियों द्वारा बोर्ड हटा दिया गया है। पेटीएम के साथ किन शर्तों पर अनुबंध हुआ था, इसकी तह तक जाने के लिए स्वयं समिति आगे आई है। मामले में मंदिर समिति से जुड़े कुछ कर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।
मंदिर समिति की तरफ से मिले शिकायती पत्र में कहा गया कि कि क्यू आर कोड किसने लगाया, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। चारधाम यात्रा के दौरान पांच साल में पेटीएम से बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर में कितना चंदा आया है, इसकी जांच भी की जाएगी। आपको बता दें कि वर्ष 2017 में मंदिर समिति और पेटीएम के बीच अनुबंध हुआ था, लेकिन 2018 के बाद ऑनलाइन जमा चंदे का कोई हिसाब नहीं है। यहां तक कि मंदिर समिति की वर्तमान कार्यकारिणी को भी चंदे के लिए अनुबंध की कोई जानकारी नहीं है। पुलिस अधीक्षक डॉ. विशाखा अशोक भदाणे ने बताया है कि समिति के अध्यक्ष, सीईओ, एसीईओ समेत अन्य अधिकारियों को क्यूआर कोड बोर्ड लगाने की जानकारी नहीं थी। मंदिर परिसर में बोर्ड लगाने पर समिति ने मुकदमा भी दर्ज कराया है। साथ ही इससे कितनी राशि मिली है, इसकी जांच कराने का निर्णय भी लिया गया है। पुलिस जांच में पता लगा रही है कि क्यूआर कोड किसके नाम पर पंजीकृत है और किसके बैंक खाते में धनराशि जमा हो रही है।
उधर जांच में सामने आया है कि बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के मंदिरों में जो क्यूआर कोड के बोर्ड लगे हैं वो बदरीनाथ–केदारनाथ मंदिर समिति की वेबसाइट पर मौजूद खाता और क्यूआर कोड वाला अकाउंट दोनों ही समिति के नाम पर हैं, लेकिन दोनों अकाउंट अलग अलग पैन नंबर से लिंक हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि मंदिर समिति के नाम पर दो पैन नंबर कैसे हो सकते हैं। बैंक खाता पैन नंबर AAETS8361E और मंदिरों में लगाए गए क्यूआर कोड में दर्ज खाता पैन नंबर AAAGU0772Q से लिंक है। जबकि नियम के मुताबिक किसी व्यक्ति या संस्था के पास एक से अधिक पैन नंबर नहीं हो सकते। समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि पूरे मामले की जांच की जा रही है।