बरेली: बीडीए ने खर्च किए सात करोड़, लोगों ने मकानों का बैनामा कराने में नहीं दिखाई दिलचस्पी
बरेली, अमृत विचार। बीडीए की करगैना कॉलोनी 80 के दशक में बनी थी जिसके मूल आवंटी मकान बेचकर जा चुके हैं। मकानों के आवंटन के बगैर ही लोग पावर ऑफ अटार्नी के जरिए उनमें रह रहे हैं। बीडीए की ओर से ऐसे लोगों के हक में बैनामा कराने की योजना शुरू की गई थी लेकिन कई लोग पैसे न होने की बात कहकर बैनामा कराने नहीं कराया। कुछ ही लोगों ने बैनामा कराया है।
बीडीए ने 1980 में छोटी आय वालों के लिए पराग फैक्ट्री के पास करगैना में कॉलोनी बनाई थी। इसमें लगभग 700 मकान थे। कुछ समय बाद कॉलोनी के मूल आवंटी मकान दूसरों को बेचकर चले गए। कई लोगों ने तीसरे व्यक्ति को भी मकान बेच दिया। इस तरह के यहां लगभग 525 लोग थे। ये लोग अफसरों से मिले तो बीडीए ने मकानों में रहने वालों के नाम ही बैनामा कराने की स्कीम शुरू की लेकिन कुछ ही लोगों ने इसका लाभ उठाया।
बीडीए उपाध्यक्ष जोगेंद्र सिंह ने अब फिर कॉलोनी के लोगों से मकानों का बैनामा कराने का आग्रह किया है। कहा है कि लाखों खर्च करने के बाद भी वे सुविधाओं के बगैर जीवन जी रहे हैं। लोगों की सुविधा के लिए कॉलोनी में जर्जर नाले, सड़क, पानी की पाइप लाइन, नाली की मरम्मत पर भी सात करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसमें पांच करोड़ नाला निर्माण और सात करोड़ अंदर की सड़क, पानी की पाइप लाइन और नालियां बनाने में खर्च हुआ है। इसके बाद भी लोग बैनामा कराने नहीं आ रहे हैं।
प्राधिकरण ने करगैना कॉलोनी में रहने वाले लोगों को बड़ी सुविधा मुहैया कराई लेकिन कालोनी के लोग बैनामा नहीं करा रहे। बीडीए ने उनके लिए सात करोड़ रुपये खर्च किए हैं, फिर भी वे स्कीम में रुचि नहीं ले रहे हैं--- जोगेंद्र सिंह, बीडीए उपाध्यक्ष।
यह भी पढ़ें- बरेली: डाक विभाग में करीब एक लाख खाते बंद, करोड़ों की धनरािश फंसने का अनुमान