मोदी के अलावा किसी और प्रधानमंत्री ने शौचालय बनाने की बात नहीं की: रामनाथ कोविंद

नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि लाल किले की प्राचीर से शौचालय बनाने की बात करने वाले नरेंद्र मोदी को छोड़कर किसी अन्य प्रधानमंत्री ने इस विषय पर जोर नहीं दिया। कोविंद स्वच्छता के समाजशास्त्र पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, जहां मोदी का संदेश भी पढ़ा गया। प्रधानमंत्री के संदेश में कहा गया, स्वच्छता और स्वच्छता के परिवर्तनकारी परिणामों के बारे में लोगों को जागरूक करने से भी विषय विशिष्ट पेशेवरों को तैयार करने तथा रोजगार एवं स्वरोजगार के अधिक अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।
इस कार्यक्रम में कोविंद ने महात्मा गांधी के शब्दों को याद किया, जिन्होंने हमेशा स्वच्छता को प्राथमिकता दी थी। कोविंद ने कहा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा करते थे कि स्वच्छता ईश्वरत्व से भी बढ़कर है। जिस प्रकार हृदय की निर्मलता के बिना ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त नहीं किया जा सकता, उसी प्रकार यदि हमारा शरीर स्वच्छ नहीं है, तो ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने सवाल किया, जब कोई अस्वच्छ स्थान में रहता है तो उसका शरीर कैसे स्वच्छ हो सकता है? पूर्व राष्ट्रपति ने शौचालय निर्माण और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए मोदी के राष्ट्रव्यापी अभियान की सराहना की। कोविंद ने कहा, गांधी जी की यह मान्यता थी कि स्वतंत्रता से अधिक स्वच्छता आवश्यक है।
एक बार उनसे पूछा गया कि वह स्वतंत्रता और स्वच्छता के मिशन में शामिल हैं, लेकिन अगर उन्हें किसी एक को प्राथमिकता देनी हो, तो वह किसे चुनेंगे? उन्होंने कहा था कि देश अंततः स्वतंत्र हो जाएगा, लेकिन स्वच्छता पर ध्यान आज से ही दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह हमारे हाथ में है। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, उसके बाद स्वच्छता के महत्व को अगर किसी ने समझा तो वह हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। कई बार इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि वह लाल किले की प्राचीर से शौचालय बनाने की बात करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। किसी भी प्रधानमंत्री ने इस बारे में बात नहीं की। कुछ लोगों ने इसका मजाक उड़ाते हुए कहा कि अब प्रधानमंत्री के पास बस यही काम है।
रविवार से शुरू हुए तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति और प्रोफेसर शामिल हो रहे हैं। सम्मेलन का आयोजन दिल्ली स्थित सुलभ इंटरनेशनल की सहायक संस्था ‘सुलभ इंटरनेशनल स्कूल ऑफ एक्शन सोशियोलॉजी’ द्वारा किया जा रहा है। सम्मेलन में, कोविंद ने स्वच्छता के अध्ययन को सामाजिक परिवर्तन का औजार बताते हुए शिक्षाविदों से स्वच्छता और इसके अध्ययन से संबंधित मुद्दों को बढ़ावा देने के लिए रणनीति तैयार करने का आग्रह किया।
उन्होंने स्वच्छता और सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में भूमिका के लिए सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक के प्रयासों की भी प्रशंसा की। कोविंद ने देश से मैला ढोने की प्रथा को समाप्त कर समाज के दबे-कुचले वर्गों के उत्थान के लिए पाठक के अभियान की सराहना की। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन की शानदार सफलता की कामना की। मोदी ने अपने संदेश में कहा, स्वच्छता को आगे बढ़ाने, शौचालयों का निर्माण करके स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा देने, बायोगैस संयंत्रों की स्थापना तथा आदर्श गांवों के निर्माण में सुलभ इंटरनेशनल के समग्र प्रयास अनुकरणीय हैं। इस संदर्भ में यह सम्मेलन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसका नेतृत्व इस क्षेत्र में शानदार काम कर चुके संगठन द्वारा किया जा रहा है।
सम्मेलन में पूर्व प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने विद्वानों से विश्वविद्यालयों में स्वच्छता के समाजशास्त्र के अध्ययन पर अतिरिक्त जोर देने का आह्वान किया। उन्होंने पाठक को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित करने की भी वकालत की। पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा, बिंदेश्वर पाठक गांधीवादी, शालीन व्यक्तित्व के हैं। उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। लेकिन उनकी उपलब्धियों के लिए, क्या वह भारत रत्न के हकदार नहीं हैं? पद्म भूषण काफी नहीं है।
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