Chaitra Navratri 2023 : 'ईश्वर की सबसे सशक्त हस्ताक्षर है नारी, जरूरत केवल संबल और दिशा देने की'
2010 में राजकीय शिक्षक संघ की अध्यक्ष बनकर खुद को साबित किया...अपनी प्रतिभा के दम पर वह 2021 में बरेली में सह जिला विद्यालय निरीक्षक बनीं
मुरादाबाद, अमृत विचार। शिक्षित महिला अपने अधिकारों की रक्षा में समर्थ रहेगी। इसको सार्थक कर रही हैं जीआईसी मानपुर मुजफ्फरपुर की प्रिंसिपल डॉ. श्वेता पूठिया। वह नारी को अबला नहीं ईश्वर की सबसे सशक्त हस्ताक्षर मानती हैं। इसके लिए बालिकाओं को प्रेरित करती हैं। वह कहती हैं कि नारी सदैव पूजनीय है, चाहे लक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती किसी रूप में हो।
शहर के किसरौल मोहल्ले में जन्मीं श्वेता पूठिया प्रभादेवी इंटर कॉलेज से 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद गोकुलदास कन्या महाविद्यालय से स्नातक और 1987 में बीएड किया। दिल्ली विश्वविद्यालय से एमफिल और फिर यूजीसी नेट क्वालिफाई कर 1996 में राज्य लोकसेवा आयोग से प्रवक्ता के पद पर चयनित होने के बाद इसी वर्ष जीजीआईसी शाहाबाद रामपुर में पहली तैनाती पाई। शिक्षण के सफर में वह हमेशा बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करती हैं। 2006 में वह मुरादाबाद के जीआईसी में पहली महिला शिक्षिका के रूप में तैनात हुईं। यहां उन्होंने पुरुष एकाधिकार माने जाने वाले शिक्षक राजनीति में कदम बढ़ाया।
2010 में राजकीय शिक्षक संघ की अध्यक्ष बनकर खुद को साबित किया। अपनी प्रतिभा के दम पर वह 2021 में बरेली में सह जिला विद्यालय निरीक्षक बनीं। 2022 में जीआईसी मानपुर मुजफ्फरपुर मुरादाबाद में प्रिंसिपल बनीं और अब इस पद की गरिमा को चरितार्थ कर रही हैं। नारी सुरक्षा, सम्मान और नारी स्वावलंबन के लिए बेहतर कार्य करने पर मिशन शक्ति में जिलाधिकारी से सम्मान पत्र मिल चुका है। उत्तर प्रदेश दिवस पर भी वह सम्मानित हुई हैं। वह 2009 से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में स्वैच्छिक सेवा प्रदाता रहीं। उन्होंने महिलाओं और बालिकाओं को स्वयं पर हो रहे अत्याचार का विरोध करने के लिए कानून की जानकारी देकर समर्थ बनाया।
बालिका शिक्षा को निजी स्तर पर मदद
धन के अभाव से शिक्षा से कोई बालिका वंचित न हो, इसके लिए श्वेता हमेशा मदद को तैयार रहती हैं। उन्होंने अपने कॉलेज की छात्रा मीनाक्षी जो इस समय 12वीं में है को प्रेरित कर आत्मविश्वास बढ़ाया, अब वह कॉलेज की पॉवर एंजिल के रूप में चयनित है। वह कहती हैं कि मिशन शक्ति के माध्यम से बालिकाओं को आत्मरक्षा के लिए प्रेरित कर उन्हें संबल प्रदान करती हैं।
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