नैनीताल: खनिज ओवरलोडिंग के शासनादेश पर हाईकोर्ट की रोक, मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने की याचिका पर सुनवाई
एमवी एक्ट, केंद्रीय नियमावली, शीर्ष कोर्ट के आदेशों का हो कड़ाई से पालन डीएम, आरटीओ, सचिव खनन को नोटिस, 19 जुलाई से पहले दें जवाब

नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिले में मानक से अधिक ट्रकों में खनिज ले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की।
मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य द्वारा ओवरलोडिंग से संबंधित 30 जनवरी 2023 के शासनादेश पर रोक लगा दी है। खंडपीठ ने आरटीओ को आदेश दिए हैं की वे मोटर व्हीकल एक्ट (एमवी एक्ट) के प्रावधानों, केंद्र सरकार की ओवरलोडिंग नियमावली एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का कड़ाई से पालन कराएं। साथ ही जिला अधिकारी नैनीताल, आरटीओ नैनीताल, सचिव खनन, राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 19 जुलाई से पहले जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
मामले के अनुसार, देहरादून निवासी गगन पाराशर ने उच्च न्यायालय, नैनीताल में जनहित याचिका दायर कर कहा कि खनन में लगे वाहनों के लिए जिला खनन समिति द्वारा मोटर व्हीकल एक्ट के तहत एक अपर लिमिट तय की गई थी, जिसमें 108 क्विंटल तक ही खनन सामाग्री वाहनों में लोड किया जा सकता है लेकिन सरकार ने 30 जनवरी 2023 को शासनादेश जारी कर 108 क्विंटल से अधिक खनन सामाग्री ले जाने की छूट दे दी गई।
याचिका में यह भी कहा गया कि साथ ही ओवरलोडिंग करने पर उन्हें रॉयल्टी देने को भी कहा गया जबकि पहले ओवरलोडिंग करने वाले वाहनों को दूसरे दिन आने पर पाबंदी थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने ऐसा आदेश जारी कर ओवरलोडिंग को बढ़ावा दिया है इसलिए इस पर रोक लगाई जाए। याचिका के अनुसार, केंद्र सरकार एवं सर्वोच्च न्यायालय ने भी ओवरलोडिंग पर वर्ष 2005 में पूर्ण रूप से पाबंदी लगा रखी है। इसका एक कारण यह भी है कि ओवरलोडिंग से वाहनों के द्वारा हाइवे और गांवों की सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो रही हैं।