Lucknow News: बढ़ रही आबादी, हो रहा विकास पर नहीं बढ़ा शहर का क्षेत्रफल
लखनऊ, अमृत विचार। बढ़ती आबादी और विकास की रफ्तार से लखनऊ सिमटता जा रहा है। जबकि जिले के क्षेत्रफल में किसी भी तरह की वृद्धि नहीं हुई है। उसी क्षेत्रफल में जनसंख्या के अनुसार परिवार व मकान बढ़े हैं। जनगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1991 में जिले का क्षेत्रफल 2528 वर्ग किमी था और महिलाओं और पुरुषों की कुल जनसंख्या 27,62,801 थी। जो 2001 में बढ़कर 36,47,834 हो गई।
इसी तरह 2011 में हुई जनगणना के अनुसार जनसंख्या बढ़कर 45,89,838 पहुंच गई। जबकि इन तीन दशकों में क्षेत्रफल 2528 वर्ग किमी ही रहा है। इधर, 2011 से जनगणना नहीं हुई, लेकिन अनुमानित जनसंख्या बढ़कर 53,17,786 पहुंच गई है। क्षेत्रफल का आंकलन नहीं हुआ है। नगर के विकास से ग्रामीण क्षेत्रफल कम हुआ है और कृषि का क्षेत्रफल घटा है। ग्रामीण में तीन दशकों में आठ से 24 प्रतिशत तक जनसंख्या बढ़ी है। फिलहाल इस विकास की रफ्तार में संसाधन नाकाफी साबित हो रहे हैं।
शहर से गांव की तरफ बढ़ा एलडीए
लखनऊ शहर की बात करें तो विकास के लिए 1973 में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) का गठन हुआ था। जिसने ज्यादातर शहर का नियोजित विकास किया और आज एलडीए का क्षेत्रफल बढ़कर 1051 वर्ग किमी हो गया है। जिसमें 325 गांव शामिल हैं। बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए अब एलडीए बाराबंकी और उन्नाव की तरफ बढ़ने के प्रयास में हैं। जिससे की आबादी के अनुसार कम क्षेत्रफल में आवासीय व व्यावसायिक सुविधा मुहैया कराई जा सके। वहीं, परिसीमन में 96 गांव शहर में शामिल हुए हैं।
बढ़ते वाहनों से बिगड़ी यातायात व्यवस्था
जनसंख्या के अनुसार, वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी है, लेकिन यातायात व्यवस्था में सुधार नहीं हो पाया है। इस क्षेत्र में विकास नहीं हुआ है। इससे आये दिन शहर में जाम की स्थिति रहती है। शहर की बात करें तो रोजाना शहर में 25 लाख वाहनों का दबाव रहता है। इसी तरह बिजली व पानी की खपत दोगुनी हुई है।
विकास की दौड़ में ये भी शामिल
टाउनशिप, अपार्टमेंट, मॉल, मार्केट, कॉलोनी, हाइवे, सड़क, पार्क, अस्पताल, स्कूल, कालेज, ओवर ब्रिज, रेलवे ओवर ब्रिज, मेट्रो आदि शामिल हैं लेकिन, आबादी के अनुरूप इनके विकास की रफ्तार नहीं मिल पा रही है।
2011 की जनगणना के अनुसार जिले का क्षेत्रफल
ग्रामीण : 2111.14 वर्ग किमी
नगरीय : 416.86 वर्ग किमी
इस तरह जनसंख्या में हुई वृद्धि
वर्ष पुरुष महिला
1991 1480839 1281962
2001 1932317 1715517
2011 2394476 2195362
ऐसे बढ़े परिवार व मकान
वर्ष परिवार मकान
1991 490675 462998
2001 644269 587351
2011 860703 736327
बढ़ती आबादी को देखते हुए अर्बन प्लानिंग के तहत विकास किया जा रहा है। साथ ही आगामी 50 वर्षों तक को देखते हुए सिटी डेवलपमेंट प्लान पर प्राधिकरण काम कर रहा है। नियोजित विकास से कई समस्याओं का समाधान हो जायेगा। क्षेत्रफल को देखते हुए कालोनी के बजाए अपार्टमेंट बनाए जा रहे हैं।
पवन कुमार गंगवार, सचिव, लखनऊ विकास प्राधिकरण
शहर में ऑटो, टेम्पो और ई-रिक्शा की भरमार है। लेकिन यह सब अभी तक एक ही जगह पर ढेर हैं। इन्हें आबादी के अनुरूप व्यवस्थित करना होगा। कई जगहों पर इनकी अधिकता है तो कई इलाके ऐसे हैं जहां पर लोगों को साधन नहीं मिल पाते ...रामफेर द्विवेदी, आरटीओ, लखनऊ।
राजधानी के दो दर्जन से अधिक रूटों पर सिटी बसों का संचालन किया जा रहा है। राजधानी में सिटी बसों का जाल बिछाने के लिए और बसों की जरूरत पड़ेगी। आबादी के अनुरूप कम से कम दो हजार बसों की आवश्यकता है। जनसामान्य को भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करना चाहिए। इससे सड़कों पर वाहनों का दबाव कम होगा।
आरके त्रिपाठी, एमडी, सिटी बस प्रबंधन
राजधानी में क्वालिटी एजूकेशन वाले स्कूल का अभाव है। बेसिक, माध्यमिक के साथ ही हायर लेवल पर भी यही हाल है। इसी के चलते आज भी हमारे शहर में बच्चे विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अन्य प्रदेशों का रुख करने को मजबूर हैं ...अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष, अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन।
लखनऊ में खेल सुविधाओं को बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन आबादी के अनुसार स्टेडियम बढ़ने चाहिए जहां लोगों को सरलता से प्रवेश मिल सके ...अजय सेठी, क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी, लखनऊ, खेल विभाग, उत्तर प्रदेश।
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