PM मोदी को अडाणी समूह की सभी संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण करना चाहिए: सुब्रमण्यम स्वामी
चेन्नई। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि वह चाहते हैं कि अडाणी समूह की संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाए। अडाणी समूह को वित्तीय सौदों से संबंधित एक रिपोर्ट के सामने आने के बाद उसके शेयरों में गिरावट के बीच विवादों का सामना करना पड़ रहा है और संसद में भी विपक्षी दलों द्वारा इस मुद्दे पर हंगामा किया गया। एक साक्षात्कार में स्वामी ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के निधन पर “दुखी” होने संबंधी अपने हालिया ट्वीट पर भी चर्चा की। इस ट्वीट को लेकर उन्हें ऑनलाइन काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी।
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उन्होंने यह भी बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश केंद्रीय बजट 2023-24 कैसा था। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि इसमें उद्देश्यों या रणनीतियों की कमी है और ऐसे समय में रक्षा क्षेत्र के लिये कम बजट आवंटित किया गया है जब सीमा मुद्दे को लेकर चीन का रुख आक्रामक है।
साक्षात्कार के प्रमुख अंश--
सवाल : आपको क्या लगता है कि भाजपा सरकार ने अडाणी समूह के मुद्दे को कैसे संभाला है, जबकि विपक्षी दल संकटग्रस्त समूह के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं? जवाब : मैं चाहता हूं कि प्रधानमंत्री, अडाणी समूह की सभी संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण करें और फिर इसे बिक्री के लिए नीलाम करें और उस पैसे से उन लोगों की मदद करें जिन्होंने रकम गंवाई हैं। क्या कांग्रेस ने अडाणी से कभी कोई डील ही नहीं की। मैं उनमें से कई लोगों को जानता हूं, जिनके अडाणी के साथ बहुत सारे सौदे थे, लेकिन मुझे कांग्रेस की परवाह नहीं है। मैं चाहता हूं कि भाजपा की पवित्रता स्थापित हो। आम जनता की राय है कि (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी कुछ छिपा रहे हैं और अब उसे दंडित करना सरकार का काम है।
सवाल : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के निधन को “दुखद” बताने वाले आपके हालिया ट्वीट की सोशल मीडिया पर भाजपा के सदस्यों द्वारा भी व्यापक रूप से आलोचना की गई है। आपको इसके बारे में क्या कहना है? जवाब : यह कहते हुए मेरी बहुत आलोचना की गई कि परवेज मुशर्रफ एक कसाई था जिसने करगिल युद्ध में भारतीयों को मार डाला। लेकिन करगिल युद्ध में परवेज मुशर्रफ पाकिस्तानी सेना के प्रमुख थे। मेरा मतलब है, वह लोगों को गोली मारने के लिए नहीं गया था। उसने सेना को गोली मारने को कहा। अब आपको कसाई आदि कैसे कहा जा सकता है जब जंग के दौरान (1999 में) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे। अब, मैं मानता हूं कि वह प्रधानमंत्री मोदी हैं जिन्होंने सभी प्रोटोकॉल तोड़े, पाकिस्तान गए और उनके (शरीफ के) साथ लंच किया...
उन्होंने उस असली आदमी के बारे में बात क्यों नहीं की जो करगिल हमले के पीछे था, वो नवाज शरीफ है। मैं मुशर्रफ को जानता था क्योंकि मैं उनसे कई बार मिला था। मैं उनसे पाकिस्तान और भारत में मिला था। वह तब तक तख्तापलट कर राष्ट्रपति बन चुके थे। जब उन्होंने असैनिक कपड़े पहनना शुरू किया तो उन्होंने कमांडर-इन-चीफ का पद छोड़ दिया। उन्होंने कहा, वह भारत के साथ काम करना चाहेंगे। और वह शख्स भी वही थे जिसने अमेरिका को कम से कम अस्थायी रूप से तालिबान को खत्म करने में मदद की। इसलिये ये (इंटरनेट उपयोगकर्ता) हास्यास्पद लोग हैं। अगर वे मुझसे उस पर सवाल करना चाहते हैं, तो मेरा पहला सवाल यह है कि मोदी नवाज शरीफ के यहां क्यों गए, जो कारगिल युद्ध के असली सूत्रधार हैं? वो ऐसा नहीं करेंगे...।
सवाल : मद्रास उच्च न्यायालय की अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर न्यायमूर्ति विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति को लेकर वकीलों के एक वर्ग ने काफी आलोचना व हंगामा किया। वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना है कि याचिकाएं खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को चुनौती दी जाएगी। आपकी टिप्पणी? जवाब : लोकतंत्र में कोई किसी को भी चुनौती दे सकता है। एक व्यक्ति के रूप में, आरएसएस के सदस्य के रूप में, भाजपा के सदस्य के रूप में उन्होंने जो कहा, उसका आकलन तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि वह जज नहीं बन जातीं और फिर उसी तरह का व्यवहार नहीं करतीं। दूसरी बात, जैसा कि मुख्य न्यायाधीश ने सही कहा है, वह इस समय एक अतिरिक्त न्यायाधीश हैं।
दो साल बाद एक समीक्षा की जाएगी...इसलिए उन्हें कानून के मुताबिक काम करना होगा। हमारे और भी जज हैं जिनका मैं नाम नहीं लेना चाहता, हमने उन्हें जज बनाया है और जज बनने से पहले वे “कट्टर मुसलमान” रहे हैं। इसलिए, मुझे लगता है कि यह आरोप-प्रत्यारोप इसलिए हो रहा है क्योंकि वे लोग एक विचारधार से प्रेरित हैं। आपने उस समय उन पर मुकदमा क्यों नहीं चलाया? जब उन्होंने ये विचार व्यक्त किए। आप आसानी से ऐसा कर सकते थे। कोई जनहित याचिका दायर कर सकता था, जैसा मैं हमेशा करता हूं। जाइए और चाहते हैं तो उसके खिलाफ मामला दर्ज करा दीजिए। यह भारत सरकार द्वारा किया गया चयन है और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा समर्थित है। इसलिए, मुझे लगता है कि यह उसके खिलाफ एक फर्जी अभियान है।
सवाल : आप वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यभार संभालने के समय से ही उनके आलोचक रहे हैं। इस साल के बजट पर आपकी क्या राय है? जवाब : यह किसी काम का बजट नहीं है। बजट में अनिवार्य रूप से चार स्तंभ होने चाहिए। आपका (सरकार का) उद्देश्य क्या है? इस बजट में कोई उद्देश्य नजर नहीं आया। उन्होंने कहा कि भारत की वृद्धि दर अगले साल साढ़े छह प्रतिशत रहेगी। पिछले साल का क्या हुआ? 2019 से अब तक क्या हुआ, हम प्रतिवर्ष तीन या चार प्रतिशत की दर से बढ़े।
यह छह प्रतिशत पर कैसे काम करेगा? प्राथमिकताओं के संबंध में, क्या कृषि प्राथमिकता है? या उद्योग प्राथमिकता है या सेवा प्राथमिकता है? उसके बारे में कुछ नहीं। आखिर हम संसाधन कहां से लाएंगे? जब चीन आपको धमका रहा है तो उन्होंने रक्षा के लिए संसाधनों में कटौती कर दी है, यह बहुत कम राशि है। हम अपने रक्षा आवंटन में कटौती कर रहे हैं। हमारे पास बहुत सारे आवश्यक क्षेत्र हैं। तो, उन्हें यह करना चाहिए कि हमें बताएं, क्या हुआ। यह शिकारी और शिकार करने वाले लोग ऐसे ही हैं, क्योंकि वे कुछ विचार रखते थे।
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