हल्द्वानीः स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का सपना आज भी अधूरा

हल्द्वानी, अमृत विचार। हल्द्वानी में प्रस्तावित स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का सपना नौ साल से अधूरा है। हर साल चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस पर इसकी याद ताजा हो जाती है। कैंसर के मरीजों को आधुनिक इलाज की सुविधा देने के लिए बनी इस योजना में वन भूमि हस्तांतरण का पेंच फंसा हुआ है। जिस कारण इंस्टीट्यूट का निर्माण शुरू नहीं हो सका है।
उत्तराखंड के पहले राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के अधीन स्वामी राम कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना वर्ष 2009 में हुई थी। बाद में इसे अपग्रेड करते हुए स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट बनाने की योजना बनाई गई। ये योजना पूर्व मुख्यमंत्री स्व. पंडित नारायण दत्त तिवारी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल थी। इस योजना के लिए करीब 103 करोड़ की डीपीआर बनाई गई। ब्रिडकुल ने यह डीपीआर तैयार की। इसमें संस्थान के निर्माण में 86 करोड़ की लागत आने का उल्लेख किया गया था।
कई बार केंद्र से आईं टीमों ने इसका निरीक्षण किया और राज्य सरकार को 69 करोड़ रुपये का बजट भी जारी हुआ। अफसोस है कि अब तक निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। कैंसर इंस्टीट्यूट वन भूमि में है, जो चिकित्सा शिक्षा विभाग को हस्तांतरण नहीं हो सकी है। जिम्मेदार अधिकारी वन भूमि हस्तांतरण प्रक्रिया को अंतिम चरण में होने की बात कह रहे हैं।
प्रत्येक वर्ष 8 से 10 हजार रोगियों का होता है इलाज
स्वामी राम कैंसर संस्थान में हर साल 8 से 10 हजार रोगियों का इलाज होता है। उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश तक से यहां मरीज इलाज कराने आते हैं। यहां सबसे ज्यादा सर्वाइकल, गले और गर्दन के कैंसर के रोगी आते हैं। जिन्हें उपचार के बाद निशुल्क दवा दी जाती है।
स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट निर्माण की कार्रवाई अंतिम चरण में है। एक-दो माह के भीतर वन भूमि हस्तांतरण होने की उम्मीद है। इसके तुरंत बाद निर्माण शुरू हो जाएगा- डॉ. केसी पांडे, निदेशक स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट।