जापानी बैंगन: सेहत के साथ देगा अच्छी कीमत, प्रजाति का परीक्षण सफल

लोहाघाट (चंपावत), अमृत विचार। कृषि विज्ञान केंद्र में औषधीय गुणों से भरपूर बैंगन पर किया गया ट्रायल काफी सफल रहा है। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र की उद्यान एवं सब्जी वैज्ञानिक डॉ. रजनी पंत ने जापानी एग वाइट नाम से जानी-पहचानी बैंगन की इस प्रजाति को परीक्षण के लिए केंद्र में लगाया था, जो यहां की जलवायु में काफी फलत देने में सक्षम है। निकट भविष्य में इसकी पौध किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी।
मैग्नीसियम का स्रोत, किडनी के लिए रामबाण
वैज्ञानिक डॉ. पंत के अनुसार, यह अंडाकार बैंगन पोटेशियम, विटामिन बी, मैग्नीसियम एवं कॉपर का प्राकृतिक स्रोत है। इसमें कॉलस्ट्रॉल का स्तर कम करने तथा उसे सामान्य स्तर पर लाने की अद्भुत क्षमता होने के कारण यह डायबिटीज के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है। यही नहीं, यह किडनी के लिए भी रामबाण है जो पाचन क्रिया को गतिशील रखता है। तमाम औषधीय गुणों को समेटे यह प्रजाति किसानों की आय को दोगुना करने में काफी सहायक होगी।
गोबर और पंचामृत का किया गया प्रयोग
इसके औषधीय गुणों को बनाए रखने के लिए इसमें गोबर की खाद व कीटनाशक के लिए पंचामृत का प्रयोग किया गया है। एक पौधे से 2-3 किग्रा तक उत्पादन लिया जा सकता है। इस बैंगन में प्राकृतिक रूप से ऐसी क्षमता होती है कि इसमें रोगों का प्रभाव बहुत कम होता है।
कीवी बना सेब का विकल्प
डॉ. पंत ने मौसम चक्र में आए बदलाव के कारण यहां सेब की डिलीशियस प्रजाति का वजूद समाप्त होता देख उसके विकल्प के रूप में कीवी का इससे पूर्व जो परीक्षण किया गया था, वह भी सफल रहा है। अब किसान कीवी की खेती की ओर भी अग्रसर होने लगे हैं। केंद्र में अनुसंधान सफल होने के बाद अब यहां कीवी के हजारों पौधे तैयार किए जा रहे हैं, जिन्हें किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।
पूर्वजों की विरासत का सवाल
डॉ. पंत का मानना है कि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयास एवं किसानों के लंबे अनुभव से ऐसा प्रयास किए जाने की एक सोच पैदा की जा रही है, जिससे किसी भी स्तर पर किसानों का खेती से मोहभंग न हो तथा वह अपने पूर्वजों की विरासत को संभालकर पलायन के बारे में सोचे तक नहीं।