विभाजन पैदा करने वाले एंकरों को ऑफ-एयर करना चाहिए, हेट स्पीच पर 'सुप्रीम' टिप्पणी

विभाजन पैदा करने वाले एंकरों को ऑफ-एयर करना चाहिए, हेट स्पीच पर 'सुप्रीम' टिप्पणी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 'हेट स्पीच' मामले पर सुनवाई के दौरान कहा है कि विभाजन पैदा करने वाले ऐंकरों को ऑफ-एयर करना चाहिए और नियम नहीं मानने वाले चैनलों पर भारी जुर्माना लगना चाहिए। जस्टिस के.एम. जोसफ ने कहा, सब कुछ टीआरपी से चलता है...चैनल एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं...वे घटना को सनसनीखेज़ बनाते हैं औैर एजेंडा परोसते हैं।

दिल्ली धर्म संसद में नफरती बयान यानी हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को पुलिस पर बरस पड़ा। कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर सवालों की झड़ी लगा दी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि धर्म संसद 19 दिसंबर 2021 को हुई थी, इसके 5 महीने बाद FIR क्यों दर्ज की गई? FIR दर्ज होने के 8 महीने बाद भी जांच कहां तक पहुंची? कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया? और कितने लोगों से पूछताछ की गई? कोर्ट ने जांच अधिकारी से 2 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।

दिल्ली धर्म संसद हेट स्पीच मामले को लेकर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगाई है। याचिकाकर्ता तुषार गांधी की ओर से कहा गया कि दिल्ली पुलिस के हलफनामे में कहा गया है कि मामले की जांच चल रही है। 5 महीने बाद FIR दर्ज की गई, चार्जशीट दाखिल तक नहीं की गई है और ना ही कोई गिरफ्तारी हुई है। याचिका पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई की।

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टीवी न्यूज चैनलों पर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि चैनल एजेंडे से प्रेरित होते हैं और कॉम्पटीशन की वजह से खबरों को सनसनीखेज बनाते हैं। वे समाज में विभाजन पैदा करते हैं। आपत्तिजनक एंकरों को हटा दिया जाना चाहिए और उन चैनलों पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए, जो प्रोग्राम कोड का उल्लंघन कर रहे हैं। कोर्ट ने समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (NBSA) और केंद्र सरकार से पूछा कि वो ऐसे प्रसारणों को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से 2 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था। साथ ही उत्तराखंड सरकार को इस केस से मुक्त कर दिया था। उत्तराखंड सरकार ने कोर्ट को बताया था कि उसने इस मामले की सुनवाई कर रही दूसरी पीठ को समय से जवाब और एक्शन रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। इसके बावजूद याचिकाकर्ता ने सरकार, जिला प्रशासन और पुलिस के खिलाफ अवमानना की अर्जी दाखिल की है।

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