बरेली: पंचायत सचिवालयों का अतापता नहीं फिर भी सहायकों को मानदेय

बरेली: पंचायत सचिवालयों का अतापता नहीं फिर भी सहायकों को मानदेय

बरेली, अमृत विचार। ग्राम पंचायतों में पंचायत सचिवालय बनाकर ग्रामीणों को गांव में ही जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने की योजना सरकारी घोषणाओं में खूब परवान चढ़ी लेकिन असल में अब तक अधर में लटकी हुई है। कहीं निर्माण पूरा होने में नहीं आ रहा है तो कहीं पंचायत भवन पर ताला पड़ा हुआ है, हालांकि ग्राम पंचायत की ओर से फिर भी पंचायत सहायकों के मानदेय का भुगतान कर रही है।

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गांवों में पंचायत सचिवालय बनाने की योजना ग्रामीणों को जन्म-मृत्यु, आय-जाति प्रमाणपत्र और उन्हें दूसरी जरूरी सहूलियत देने के लिए बनाई गई थी। सरकार की मंशा थी कि पंचायत सचिवालयों में ग्राम पंचायत की बैठकों के आयोजन के साथ वहां ग्राम पंचायत अधिकारी की मौजूदगी सुनिश्चित की जाए, साथ ही दस्तावेजों के सुरक्षित रखरखाव के साथ उसे कंप्यूटराइज बनाया जाए। यह अलग बात है कि इस योजना का उद्देश्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है। ग्रामीणों को अब भी इन कामों के लिए तहसील और ब्लॉक मुख्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

अफसरों की सुस्ती के कारण जिले में यह योजना अधर में लटकी हुई है। जनपद में 1193 ग्राम पंचायतें हैं।विभागीय रिकार्ड में 37 गांवों में अब तक पंचायत भवन नहीं हैं। इसके अलावा तमाम गांव जहां पंचायत भवन बने हैं, उनमें कई आधे-अधूरे हैं या फिर उन पर अवैध कब्जे कर लिए गए हैं। कुछ गांवों में तो प्रधान किराए के भवन या अपने घर में कार्यालय चला रहे हैं। बिथरी, भुता और नवाबगंज ब्लाक में कई गांवों में पंचायत सचिवालय अधूरे पड़े हैं लेकिन वहां पंचायत सहायकों की तैनाती कर दी गई है और उन्हें ग्राम सभा की ओर से मानदेय भी दिया जा रहा है। कई पंचायत सचिवालयों में बिजली की व्यवस्था तक नहीं है। शौचालय अधूरे पड़े हैं।

उपकरण देने के बाद भी नहीं मिल रही सुविधाएं
बिथरी चैनपुर और भुता की कई ग्राम पंचायतों का हाल यह है कि लैपटॉप, कंप्यूटर समेत अन्य सामान दिए जाने के बावजूद उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। ग्रामीण सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं। नाम न छापने के शर्त पर ग्राम पंचायत नवदिया हरकिशनपुर के कई ग्रामीणों ने बताया कि कोई भी दस्तावेज लेने के लिए बाजार जाना पड़ता है। यही हाल जिले के दूसरे ब्लॉकों का भी है। जिन ग्राम पंचायतों में भवन निर्माण चल रहा है, वहां मानकों की अनदेखी के भी आरोप लग रहे हैं।

जिले की 1193 ग्राम पंचायतों में से 37 में पंचायत सचिवालय किन्हीं कारणों से अधूरे पड़े हैं। जहां निर्माण चल रहा है, वहां उसकी निगरानी की जा रही है। कुछ जगह भूमि विवाद के कारण काम रुका हुआ है। जहां पुराने भवन हैं, वहां उन्हें ध्वस्त कराकर नया भवन बनाने की प्रक्रिया भी चल रही है। -धर्मेंद्र कुमार, डीपीआरओ

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