Maha Kumbh 2025: पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होगी कल्पवास की शुरुआत, मेले में 5 लाख से अधिक कल्पवासियों के आने का अनुमान
महाकुंभनगर। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर लगने जा रहे आस्था के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम में सोमवार को पौष पूर्णिमा स्नान से महाकुंभ के कल्पवास की शुरुआत होगी। मेले में पांच लाख से अधिक कल्पवासियों के एक महीने तक जप-तप के लिए आने का अनुमान है।
महाकुंभ मेला अधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि पौष पूर्णिमा स्नान पर्व से महाकुंभ का श्री गणेश होने जा रहा है। इसके दूसरे दिन मंगलवार को मकर संक्रांति पर्व के पुण्य अवसर पर अखाडों का “अमृत स्नान” होगा। दोनो ही पर्वों की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मान्यता और संतों के निर्देश के क्रम में परंपरागत तरीके से अखाड़ों का स्नान होगा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनो ही पर्वों पर हेलीकॉप्टर से स्नान घाटों पर स्नान कर रहे श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा कराई जाएगी। दोनो ही पर्वों कोई प्रोटोकॉल लागू नहीं होगा। मेला क्षेत्र में वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। मोटरबोट भी स्नान पर्वों पर नहीं चलाई जाएंगी। मंगलवार को मकर संक्रांति पर्व अखाड़ों का पहला महाकुंभ अमृत स्नान (शाही स्नान) होगा। अमृत स्नान पर्व पर अखाड़ों के लिए दो पंटून पुल आने-जाने के लिए निर्धारित किए गए हैं। त्रिवेणी पुल और त्रिवेणी द्वितीय पंटून अखाड़ों के लिए आरक्षित है। इसके अलावा दो पंटून पुल आपातकाल के लिए आरक्षित रहेंगे।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि महाकुंभ में अखाड़ों के वैभव के अलावा यहां कल्पवासियों की जप, तप और संयम की त्रिवेणी भी प्रवाहित होती है। पौष पूर्णिमा से पूरे एक महीने तक गंगा और यमुना की रेत पर तंबुओं के शिविर बनाकर ठिठुरती ठंड में साधना करने वाले कल्पवासियों की संख्या बढ़ी है। इस बार 2019 कुंभ से अधिक लगभग सात लाख से अधिक कल्पवासियों के लिए प्रशासन ने व्यवस्था की है।
महाकुंभ को चार हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल पर 25 सेक्टर में विभाजित किया गया है। मेला क्षेत्र में मूल रूप से कल्पवास करने वाले इन श्रद्धालुओं के लिए गंगा के तटों के पास ही तंबुओं की व्यवस्था की गई है ताकि सुबह प्रतिदिन इन्हें गंगा स्नान के लिए दूर तक ना चलना पड़े। विभिन्न सेक्टर में बस रहे कल्पवासियों के शिविर में स्वच्छता को प्राथमिकता दी जा रही है।
कल्पवासियों के शिविर के बाहर अलग अलग रंग की कचरा पेटी रखी जाएंगी। सूखे कूड़े के लिए अलग और गीले कूड़े के लिए अलग कचरा पेटी होगी। माघ के जिस महीने में ये कल्पवासी गंगा के तट पर कल्पवास करते हैं, वह समय कड़ाके की ठंड का होता है। बुजुर्ग कल्पवासियों की शीतलहर से रक्षा के लिए शिविर के बाहर अलाव जलाने की व्यवस्था की जाएगी।
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