कर्ज में अच्छी वृद्धि के साथ बैंकों के नये साल में भी लाभ में बने रहने की उम्मीद 

कर्ज में अच्छी वृद्धि के साथ बैंकों के नये साल में भी लाभ में बने रहने की उम्मीद 

नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिये यह साल अच्छा रहा। एक तरफ जहां वे अपने फंसे कर्ज में कमी लाने में कामयाब हुए, वहीं चालू वित्त वर्ष में उनका लाभ रिकॉर्ड स्तर पर रहने की संभावना है और यह रुझान नये साल में भी बने रहने की उम्मीद है। कर्ज की मांग में अच्छी वृद्धि और वैश्विक स्तर पर कड़ी मौद्रिक नीति से उच्च ब्याज दर से भी बैंकों को लाभ में बने रहने में मदद मिलने की उम्मीद है।

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निजी क्षेत्र में बैंकों के एकीकरण से भी क्षेत्र चर्चा में रहा। मूल कंपनी एचडीएफसी लि. ने स्वयं का विलय एचडीएफसी में करने का निर्णय किया। वहीं एक्सिस बैंक ने वैश्विक वित्तीय संस्थान सिटीबैंक के खुदरा कारोबार के अधिग्रहण की घोषणा की। इन दोनों सौदों के 2023 में पूरा होने की उम्मीद है। आरबीआई के इस साल मई से रेपो दर में वृद्धि दर से बैंकों के लाभ पर सकारात्मक असर पड़ा है।

इसका कारण उस अनुपात में जमा दरों में वृद्धि नहीं होने से उनका मार्जिन बढ़ा है। कोटक महिंद्रा बैंक के प्रबंध निदेशक उदय कोटक ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 6.5 प्रतिशत कर सकता है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों का संयुक्त रूप से शुद्ध लाभ 32 प्रतिशत बढ़कर 40,991 करोड़ रुपये रहा।

इन बैंकों की बाजार हिस्सेदारी करीब 60 प्रतिशत है। सितंबर तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध लाभ संयुक्त रूप से 50 प्रतिशत उछलकर 25,685 करोड़ रुपये रहा। वहीं जून तिमाही में लाभ 76.8 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 15,307 करोड़ रुपये से अधिक था। सरकारी बैंकों (पीएसबी) के बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए वित्त मित्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा था कि पीएसबी में पिछले पांच साल में करीब तीन लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली गयी।

इसके जरिये सरकार के फंसे कर्ज में कमी लाने और उनकी वित्तीय सेहत को मजबूत बनाने के प्रयास का असर दिख रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बैंकों के मजबूत प्रदर्शन का कारण उनकी पूंजी के स्तर पर मजबूत होना है। इससे खुदरा, उद्योग और सेवा क्षेत्रों को कर्ज वितरण में तेजी आई है। हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में से पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के लाभ में पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के मुकाबले 9 से 63 प्रतिशत तक की कमी आई है।

सीतारमण ने इस महीने की शुरुआत में लोकसभा में कहा था कि सरकार के विभिन्न प्रयासों से बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) मार्च, 2022 को समाप्त वित्त वर्ष उल्लेखनीय रूप से घटकर 7.28 प्रतिशत पर आ गईं। उन्होंने कहा था कि चार स्तरीय रणनीति यानी फंसे कर्ज की पहचान, उसका समाधान, पूंजी डालने और सुधारों से बैंकों के फंसे कर्ज में कमी आई है। बैंकों की तरफ से दिये गये कर्ज में वृद्धि 17 प्रतिशत रही।

हालांकि, जमा में वृद्धि 9.9 प्रतिशत पर रही। मौजूदा रुख को देखा जाए, तो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों समेत सभी बैंकों का प्रदर्शन पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले बेहतर रहने का अनुमान है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का संयुक्त रूप से शुद्ध लाभ 2021-22 में 66,539 करोड़ रुपये रहा। यह 2020-21 के 31,816 करोड़ रुपये के मुकाबले 110 प्रतिशत अधिक है।

जहां तक निजी क्षेत्र के बैंकों का सवाल है, उनका लाभ 2021-22 में 91,000 करोड़ रुपये रहा जो 2020-21 के 70,435 करोड़ रुपये के मुकाबले 29 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, बैंकों में सबकुछ अच्छा है, ऐसा नहीं है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की एसोसिएट निदेशक दीपाली सेठ छाबड़िया ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक और निजी क्षेत्र के बैंकों ने काफी हद तक संपत्ति गुणवत्ता चुनौतियों का समाधान किया है।

लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के कई अन्य बैंक अब भी संपत्ति की खराब गुणवत्ता, कर्ज की ऊंची लागत और कमजोर कमाई की समस्या से जूझ रहे हैं। विलय को लेकर भी क्षेत्र चर्चा में रहा। निजी क्षेत्र में एचडीएफसी ने अपना विलय अपनी अनुषंगी एचडीएफसी बैंक में करने पर सहमति जतायी है। यह सौदा करीब 40 अरब डॉलर का है और इसे देश के कंपनी इतिहास में सबसे बड़ा सौदा माना जा रहा है।

वहीं एक्सिस बैंक ने सिटी बैंक इंडिया के खुदरा कारोबार को 12,325 करोड़ रुपये में अधिग्रहण की घोषणा की है। बैंक क्षेत्र में एसबीआई समर्थित यस बैंक को दो वैश्विक निजी इक्विटी कंपनियों...कार्लाइल ग्रुप और एडवेंट से निवेश मिला है।

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