हस्तांतरित संपत्ति को माता-पिता वापस नहीं ले सकते: मद्रास उच्च न्यायालय
चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि बुजुर्गों द्वारा हस्तांतरित संपत्ति, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण कानून के तहत वापस नहीं ली जा सकती है, अगर दस्तावेजों में यह शर्त नहीं है कि प्राप्तकर्ता को उनकी देखभाल करनी होगी।
यह भी पढ़ें- गुजरात मॉडल कुछ नहीं, सिर्फ मोदी की मार्केटिंग है: सीएम गहलोत
न्यायमूर्ति आर सुब्रमण्यम ने कहा कि कानून की धारा 23 के तहत संपत्ति हस्तांतरण को शून्य और अमान्य घोषित करने के लिए दो आवश्यक पूर्व शर्तें हैं। पहली शर्त यह है कि कानून के लागू होने के बाद हस्तांतरित दस्तावेज को निष्पादित किया जाना चाहिए। दूसरी शर्त यह है कि इसे हस्तांतरणकर्ता को भरण-पोषण के लिए जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए।
न्यायाधीश ने हाल में एस सेल्वराज सिम्पसन की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यदि दोनों में से कोई भी शर्त पूरी नहीं होती है, तो भरण-पोषण न्यायाधिकरण के प्रमुख राजस्व मंडल अधिकारी (आरडीओ) दस्तावेजों को अमान्य घोषित करने के लिए दलीलों पर विचार नहीं कर सकते।
याचिकाकर्ता ने अंबत्तूर में आरडीओ को उनके बेटे के खिलाफ शिकायत का संज्ञान लेने के लिए निर्देश का अनुरोध किया जिसने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया। हालांकि न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता अपने बेटे से भरण-पोषण की मांग के लिए उचित कार्यवाही शुरू कर सकता है और समाधान के अधीन दीवानी अदालत के समक्ष संपत्ति हस्तांतरण दस्तावेज को रद्द करने की भी मांग कर सकता है।
न्यायाधीश ने कहा कि कानून की धारा 23 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी वरिष्ठ नागरिक जिसने कानून लागू होने के बाद अपनी संपत्ति को उपहार के तौर पर दिया था या हस्तांतरित किया था, तो वह केवल इस आधार पर उसे रद्द करने का अनुरोध कर सकते हैं, अगर स्थानांतरण इस शर्त पर किया गया था कि उनका भरण-पोषण करना होगा।
यह भी पढ़ें- शुभेंदु अधिकारी के कार्यक्रम में मची भगदड़, तीन लोगों की मौत अन्य पांच घायल