बरेली: महापौर की सीट पर रार, किसको मिलेगा मुकाबले में लड़ने का मुकाम

कई नए चेहरे लिस्ट में शामिल, कईयों ने लगाई योगी से टिकट की दरकार

बरेली: महापौर की सीट पर रार, किसको मिलेगा मुकाबले में लड़ने का मुकाम

विकास यादव/बरेली, अमृत विचार। शहर में महापौर के दाबेदारों की लिस्ट लंबी होती जा रही है। बुधवार को बरेली कॉलेज में प्रबुद्ध जनसम्मेलन में आए मुख्मंत्री योगी से कई नए चेहरों ने महापौर की दाबेदारी के लिए गुहार लगाई है। जबकि कई लोग इसमें महापौर उमेश गौतम को ही दमदार किरदार मान रहे हैं।

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फिलहाल मुकाबला दिलचस्प होता नजर आ रहा है। महापौर की सीट को लेकर अटकले लगाई जा रही थी कि महापौर की सीट पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित होनी थी लेकिन दो दिन में ही समीकरण इतनी तेजी से बदले की सीट लगातार तीसरी बार अनारक्षित हो गई। इन बदले समीकरण को जानने में भाजपा के नेता जुटे हैं।

अब तो ऐसा लग रहा है कि महापौर के चुनाव में आमने सामने पुराने खिलाड़ी ही होंगे।संभावना यह भी जताई जा रही है कहीं कोई नया खिलाड़ी भाजपा सीट पर महापौर के लिए दाबेदारी का दावेदार न हो जाए।

भाजपा की सशक्त लाबी का मानना था कि महापौर की सीट इस बार पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित होने की शत प्रतिशत संभावना थी। यहां तक सीट के अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित होने की चर्चाएं भी चली थीं लेकिन उनमें कुछ खास दम नहीं रहा। पिछड़ी जाति के लिए सीट आरक्षित होने पर पूर्व मंत्री बहोरन लाल मौर्य और नवाबगंज के पालिकाध्यक्ष रहे पूर्व जिलाध्यक्ष रविंद्र सिंह राठौर में से किसी एक को टिकट मिलने की संभावनाएं जताई जा रही थी।

सूत्रों के अनुसार तीन दिसंबर को अगर आरक्षण जारी करने को लेकर होने वाली प्रेस कांफ्रेंस रद्द नहीं होती तो बरेली और मुरादाबाद की महापौर सीट पिछड़ी जाति को ही आरक्षित हो रही थी। प्रयागराज और लखनऊ के चक्कर में समीकरण ऐसे बदले कि बरेली में महापौर की सीट लगातार तीसरी बार अनारक्षित रह गई और मुरादाबाद की सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई।

अब सीट अनारक्षित रहने से महापौर पद के भाजपा और सपा के दावेदार उत्साहित हैं। हर कोई अपना टिकट पक्का मानकर चल रहा है। टिकट के लिए लखनऊ दिल्ली की दौड़ शुरू हो गई है। वोटों के समीकरण और पिछले चुनावों के परिणाम से एक बात साफ है कि मुकाबला भाजपा और सपा में ही होगा। भाजपा में यूं तो टिकट के लिए लगभग दो दर्जन दावेदार हैं लेकिन उन सब पर महापौर उमेश गौतम भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।

तीन चुनाव के बाद भाजपा को बरेली नगर निगम में महापौर की सीट दिलाने वाले उमेश गौतम की दावेदारी को नजर अंदाज करना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। उमेश की सक्रियता टिकट के अन्य दावेदारों पर भारी पड़ेगी। हालाकिं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रबुद्धजन सम्मेलन के बाद कई नए चेहरे भी सामने आने की उम्मीद है। योगी से शहर के वरिष्ठ डाक्टर का मिलना और अन्य कई दावेदारों की सिफारिश उमेश गौतम की राह में रोड़ा बन सकते है।

समाजवादी पार्टी में डा. आईएस तोमर को नजरअंदाज करना हाईकमान के लिए आसान नहीं होगा। भाजपा ने अगर उमेश गौतम और सपा ने डा. आईएस तोमर पर ही भरोसा जताया तो मैदान में एक बार फिर 2017 का ही मुकाबला देखने को मिलेगा। 2017 में  उमेश और तोमर आमने सामने थे। कांग्रेस बसपा के पास दमदार चेहरे नहीं हैं। 

बहुजन समाजवादी पार्टी महापौर पद के लिए छह आवेदन आने का दावा तो कर रही है लेकिन पार्टी का कोई भी नेता इन छह आवेदनकर्ताओं के नाम बताने को तैयार ही नहीं है। ऐसे में लग रहा है कि बसपा दूसरे दल से आने वाले किसी नेता पर दांव लगा सकती है।

वहीं कांग्रेस में आवेदन तो प्रदेश प्रवक्ता डा. केबी त्रिपाठी, रुहेलखंड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डा. यशपाल सिंह, पूर्व डिप्टी मेयर डा. मोहम्मद खालिद, स्वप्निल शर्मा, महेश पंडित ने किया है, लेकिन इनमें से कोई भी नाम गंभीर नजर नहीं आता है। 2017 में हुए चुनाव में कांग्रेस के अजय शुक्ला को 21295 और बसपा के मोहम्मद युसुफ को 19017 वोट मिले थे।

2017 में हुए चुनाव में भाजपा के उमेश गौतम को 139006 वोट मिले थे। उन्होंने सपा के डा. आईएस तोमर को 12757 वोटों से हराया था। लगातार तीसरी बार सीट अनारक्षित होने से उमेश गौतम भाजपा में टिकट के लिए सबसे प्रबल दावेदार हैं। उनका टिकट बदलवाना आसान काम नहीं होगा। वैसे उमेश के सामने भाजपा की पंजाही लाबी मजबूत दावेदार है। पंजाबी लाबी ने बरेली में महापौर का टिकट पंजाबी समुदाय को दिए जाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है।

पंजाबी समाज से 2014 में महापौर का चुनाव लड़े गुलशन आनंद के साथ ही विश्व हिन्दू परिषद के विभाग संयोजक रहे पवन अरोड़ा और महानगर अध्यक्ष डा. केएम अरोड़ा दावेदार हैं। वहीं सिंधी समाज से डा. विनोद पागरानी और खत्री समाज से अनुपम कपूर भी दावेदार हैं। हर दावेदार के पास टिकट दिए जाने के लिए अपने अपने समीकरण हैं। टिकट के लिए दावेदार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारियों के साथ ही लखनऊ- दिल्ली की दौड़ भी लगा रहे हैं।

सपा की सीट पर तीन मजबूत दाबेदार
समाजवादी पार्टी इस बार महापौर की सीट अपने हाथ से गवाना नहीं चाहती है। समाजवादी पार्टी के पास महापौर पद के लिए डाक्टर आईएस तोमर का नाम सबसे ऊपर है। उसका एक कारण यह भी है कि डाक्टर तोमर दो बार महापौर का चुनाव जीत चुके हैं।

पिछला चुनाव वो भाजपा के उमेश गौतम से हार गए थे। डा. तोमर की लाबी उनके टिकट के लिए पूरी तरह जुट गई है। सपा में डा. तोमर के टिकट की राह में पूर्व महापौर सुप्रिया ऐरन और पार्षद राजेश अग्रवाल खड़े हैं। कांग्रेस से महापौर रहीं सुप्रिया हाल ही में हुआ विधानसभा चुनाव कांग्रेस का टिकट ठुकराकर सपा के टिकट पर लड़ी थीं। अब उनका नाम महापौर के लिए भी चर्चा में है।

लंबे समय से पार्षद का चुनाव जीत रहे राजेश अग्रवाल हाल ही में सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। अब वो भी सपा से महापौर का टिकट मांग रहे हैं। सपा में टिकट के लिए आवेदन तो पार्षद गौरव सक्सेना और जिला उपाध्यक्ष रहे संजीव सक्सेना ने भी किया है। सपा में महापौर के लिए हाईकमान की पहली पसंद डा. आईएस तोमर हो सकते हैं, हालांकि सुप्रिया ऐरन और राजेश अग्रवाल को भी टिकट की दौड़ में कम नहीं आंका जा सकता।

पिछले चुनाव में सपा के डा. आईएस तोमर 126249 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। जैसे-जैसे निकाय चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं। लोगों ने अपने-अपने आकड़े लगाना शुरू कर दिए हैं। गली मोहल्लों में इसको लेकर चर्चा आम होग गई है।

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