केरल में बंदरगाह निर्माण के खिलाफ मछुआरों के प्रदर्शन का विषय लोकसभा में उठा
केरल के विझिंजम में निर्माणाधीन बंदरगाह (सीपोर्ट) के निर्माण का विषय शून्यकाल में उठाते हुए कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने कहा कि इसके खिलाफ 140 दिन से मछुआरे प्रदर्शन कर रहे थे क्योंकि इसके निर्माण से स्थानीय मछुआरों की जिंदगी और आजीविका प्रभावित हुई है तथा बड़े स्तर पर समुद्री कटाव हो रहा है।
नई दिल्ली। कांग्रेस के एक सदस्य ने केरल में एक बंदरगाह के निर्माण और इसके खिलाफ स्थानीय लोगों के प्रदर्शन का विषय सोमवार को लोकसभा में उठाया । उन्होंने पत्तन निर्माण से मछुआरों की आजीविका प्रभावित होने व समुद्री कटाव का दावा करते हुए केंद्र से एक पुनर्वास पैकेज की घोषणा करने की मांग की।
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केरल के विझिंजम में निर्माणाधीन बंदरगाह (सीपोर्ट) के निर्माण का विषय शून्यकाल में उठाते हुए कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने कहा कि इसके खिलाफ 140 दिन से मछुआरे प्रदर्शन कर रहे थे क्योंकि इसके निर्माण से स्थानीय मछुआरों की जिंदगी और आजीविका प्रभावित हुई है तथा बड़े स्तर पर समुद्री कटाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि मछुआरों ने अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया है, लेकिन उनकी मांगें उचित हैं जिन्हें राज्य सरकार ने अभी तक पूरा नहीं किया है।
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि केंद्र सरकार को उनकी (मछुआरों) आजीविका को बचाने के लिए एक पुनर्वास पैकेज की घोषणा करनी चाहिए तथा समुद्री कटाव का अध्ययन करने के लिए एक वैज्ञानिक समिति का गठन करना चाहिए। ईडन ने यह भी कहा कि केरल सरकार का यह कहना ठीक नहीं है कि मछुआरे, बंदरगाह के खिलाफ हैं, बल्कि वे अपनी आजीविका की सुरक्षा चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मछुआरा समुदाय ने बंदरगाह के विकास के लिए पूरा समर्थन दिया है और अतीत में उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के लिए भी अपनी जमीन दी तथा अन्य योगदान किये थे।
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