डेटा सुरक्षा ढांचा

साइबर आक्रमण के इस दौर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सर्वर पर हुए साइबर हमले की गुत्थी अभी तक उलझी हुई है। सवाल है कि भारत ऐसे साइबर हमलों से निपटने में कितना सक्षम है। डेटा इकोनॉमी के युग में ऐसे हमलों के पीछे मंशा होती है कि डेटा हासिल कर, उसे बेचकर पैसे कमाए जाएं।
ऐसे आक्रमण इसलिए भी किए जाते हैं कि किसी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था झटका दिया जाए और उसकी रफ्तार को रोका जाए। एम्स के सर्वर पर हुआ साइबर हमला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी चिंताजनक है? सार्वजनिक डाटा का उपयोग करने वाली सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को साइबर अटैक से बचने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
आज भारत के पास न तो साइबर सुरक्षा को लेकर समर्पित कोई कानून है और न ही कोई प्रभावी ढांचा, जो मौजूदा चुनौतियों से निपट सके। उच्चतम न्यायालय ने एक फैसले की सुनवाई करते हुए कहा था कि प्राइवेसी हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है। तब से पुराना डाटा संरक्षण कानून 2017 से काम कर रहा है।
अब केंद्र सरकार ने डाटा प्रोटेक्शन को लेकर उठ रही चिंताओं को दूर करने के लिए नया संशोधित डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 का ड्राफ्ट बनाया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बिल के मसौदे पर लोगों से प्रतिक्रिया मांगी है। सरकार इस बिल को संसद के आगामी सत्र में पेश कर सकती है।
यह बिल संसद में पास हो जाने के बाद केंद्र सरकार अधिनियम के प्रयोजनों के लिए एक बोर्ड की स्थापना करेगी, जिसे ‘डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया’ नाम दिया जाएगा। कंपनियां लोगों का निजी डेटा नहीं इस्तेमाल कर पाएगी। एम्स जैसा हमला होने व डाटा चोरी हो जाने की स्थिति में शिकायत मिलने पर बोर्ड उस संस्थान के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकेगा, जहां से डाटा चोरी हुआ है।
अच्छी बात है कि सरकार शीघ्र ही डिजीटल इंडिया एक्ट लाने पर विचार कर रही है, जो आईटी एक्ट की जगह लेगा। भारत को साइबर सुरक्षा की दिशा में अभी तक जितना काम करना चाहिए था, वह नहीं किया गया। इसके बहुत कारण हो सकते हैं। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013 में आई थी लेकिन वह भी कागजों में सिमटकर रह गई।
साइबर सुरक्षा से जुड़े मामले आज विभिन्न मंत्रालयों के बीच बंटे हुए हैं। इसलिए साइबर विशेषज्ञ भारत में साइबर सुरक्षा के लिए एक समर्पित मंत्रालय की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। हमें अपनी सोचने की प्रक्रिया को बदलना पड़ेगा और इसके लिए समुचित कानूनी ढांचा भी बनाना होगा।