प्रवासी मजदूर बदहाली: राज्यों से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तलब

प्रवासी मजदूर बदहाली: राज्यों से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तलब

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने प्रवासी मजदूरों को लेकर राज्य सरकारों से एक सप्ताह के भीतर कल्याणकारी कार्यों की रिपोर्ट उसे सौंपने का सोमवार को निर्देश दिया। इस बीच केंद्र सरकार ने न्यायालय में दावा किया कि उसने एक करोड़ प्रवासी मजदूरों को उनके इच्छित स्थानों पर या पैतृक घर पहुंचाया है। केंद्र सरकार की …

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने प्रवासी मजदूरों को लेकर राज्य सरकारों से एक सप्ताह के भीतर कल्याणकारी कार्यों की रिपोर्ट उसे सौंपने का सोमवार को निर्देश दिया। इस बीच केंद्र सरकार ने न्यायालय में दावा किया कि उसने एक करोड़ प्रवासी मजदूरों को उनके इच्छित स्थानों पर या पैतृक घर पहुंचाया है।

केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश की और बताया कि देश में एक करोड़ प्रवासी मजदूरों को उनके इच्छित स्थानों पर या पैतृक घर पहुंचाया जा चुका है। खंडपीठ राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की बदहाली से संबंधित मामले का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही थी।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार प्रवासी मजदूरों और गरीब लोगों की मदद के लिए कार्य कर रही है। एक समय था, जब केंद्र सरकार की ओर से एक रुपया भेजा जाता था और जनता के पास 15 पैसे पहुंचते थे। मगर आज जितना भेजा जाता है उतना ही लाभार्थियों के खाते में जाता है, एक पैसा कम नहीं।

इस पर प्रवासी मजदूरों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पुरजोर आपत्ति जताते हुए तुषार मेहता से राजनीतिक भाषण न देने की अपील की। कपिल सिब्बल ने कहा, “यह राजनीतिक मंच नहीं है, बल्कि अदालत है। आप तथ्य बताएं कि कितने प्रवासी मजदूरों को मदद दी गई हैं? क्या मदद दी गई है? केंद्र सरकार ने क्या किया है?”

इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वह राजनीतिक भाषण नहीं दे रहे, अलबत्ता सच्चाई बयां कर रहे हैं। जहां तक तथ्यों की बात है तो अभी तक एक करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को विभिन्न राज्यों से उनके घरों में पहुंचाया जा चुका है।सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि अब सवाल राज्य सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं का है कि राज्य किस तरह से प्रवासी मजदूरों की मदद करते हैं? इसका जवाब राज्य सरकारें देंगी। इसके बाद न्यायालय ने सभी राज्यों को मामले में एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब दायर करने को कहा।