बरेली: कंगारू मदर केयर यूनिट प्री-मेच्योर बच्चों के लिए बनी जीवनदायिनी

जिला महिला अस्पताल में कंगारू मदर केयर यूनिट नौनिहालों की सेहत कर रही दुरुस्त

बरेली: कंगारू मदर केयर यूनिट प्री-मेच्योर बच्चों के लिए बनी जीवनदायिनी

बरेली, अमृत विचार। जिला महिला अस्पताल में कंगारू मदर केयर यूनिट (केएमसी) प्री-मेच्योर बच्चों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है। दरअसल, प्री-मेच्योर बच्चों का वजन कम होता है। ऐसे में उनकी विशेष देखभाल की जरूरत होती है। गंभीर हालत में कई बच्चे इस यूनिट में भर्ती हो चुके हैं। दूसरे जनपदों से भी प्री-मेच्योर बच्चे भर्ती हो रहे हैं।

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हर माह भर्ती हो रहे पांच से अधिक बच्चे
जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डा. अलका शर्मा के अनुसार शासन की ओर से हर जिले में केएमसी यूनिट बनाने का आदेश दिया है, इसका मुख्य कारण है कि गर्भाधारण के दौरान अधिकांश महिलाएं ठीक प्रकार से खानपान और दिनचर्या का विशेष ध्यान नहीं दे पाती हैं, जिस कारण जन्म लेने के बाद बच्चे प्री-मेच्योर होते हैं। अस्पताल में हर माह पांच से दस ऐसे बच्चे केएमसी यूनिट में भर्ती हो रहे हैं। केएमसी केयर के बाद उनका वजन सामान्य बच्चों की तरह हो जाता है, जिसके बाद ही उन्हें यहां से डिस्चार्ज किया जाता है। ====

शुरुआती तीन महीने होते हैं नाजुक
वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. मृदुला शर्मा के अनुसार गर्भाधारण के शुरुआती तीन महीने काफी नाजुक होते हैं, क्योंकि इसी दौरान बच्चे का स्वरूप बनता है। इस काल को ऑर्गेनोजेनेसिस कहा जाता है। इन तीन महीनों में बहुत सतर्क और सावधान रहने की जरूरत होती है। पहली बार मां बनने वाली स्त्रियों को अपनी गायनिकोलॉजिस्ट की सलाह का गंभीरता से पालन करना जरूरी होता है।

20 दिन मिली केएमसी केयर, एक किलो बढ़ गया वजन
मिलक के लखीमपुर विष्णु गांव निवासी अनुज की पत्नी कोमल ने 1 नवंबर को बच्चे को जन्म दिया। जांच में बच्चे का वजन महज 1150 ग्राम था। परिजन उसे लेकर जिला महिला अस्पताल पहुंचे। यहां केएमसी यूनिट में मां और बच्चे को भर्ती किया गया। लगातार कंगारू थेरेपी और 20 दिन तक चले इलाज के बाद सोमवार को बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया गया। इलाज के बाद बच्चे का वजन अब 2 किलो 200 ग्राम हो गया है।

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