भारत का उचित कदम

भारत का उचित कदम

संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर रूस के विरुद्ध वोट करके भारत ने साबित कर दिया है कि सार्वजनिक हित व्यक्तिगत हित से हमेशा ऊपर होता है। भारत ने बराबर जनमत का आदर किया है। दुनिया के अधिकांश देशों की स्पष्ट राय है कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता। समाधान के लिए …

संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर रूस के विरुद्ध वोट करके भारत ने साबित कर दिया है कि सार्वजनिक हित व्यक्तिगत हित से हमेशा ऊपर होता है। भारत ने बराबर जनमत का आदर किया है। दुनिया के अधिकांश देशों की स्पष्ट राय है कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता। समाधान के लिए हर पक्ष को पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर वार्ता की मेज पर आना चाहिए।

दरअसल मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर रूस के हमले को लेकर निंदा का एक मसौदा सदस्य देशों के समक्ष विचार के लिए पेश किया गया था। रूस ने निंदा के इस मसौदे पर गुप्त मतदान की मांग की थी लेकिन अल्बानिया ने सार्वजनिक मतदान का प्रस्ताव रखा। 106 देशों ने अल्बानिया का समर्थन कर दिया। भारत भी इन्हीं देशों की कतार में खड़ा हो गया।

इस प्रकार कुल 107 देश हो गए जिन्होंने सार्वजनिक मतदान की बात की है। 39 देश तटस्थ रहे जबकि 13 देश रूस के साथ हो लिए थे। बहरहाल अब निंदा प्रस्ताव पर खुला मतदान होगा। भारत ने शुरू से ही यूक्रेन पर रूसी हमले का विरोध किया है। 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर अचानक हमला कर दिया था।

भारत सहित दुनिया के बहुसंख्य देशों ने इस कार्य को अनैतिक करार देते हुए इसका विरोध किया। भारत के रूस के साथ पुराने संबंध रहे हैं, लेकिन इसका अर्थ यह है कि भारत केवल सकारात्मक कार्य का ही समर्थन करता है। भारत ने बराबर पूर्वाग्रह से मुक्त हो अपनी विदेश नीति को लागू किया है। निकट पड़ोसी देशों को विशेष तरजीह देकर और हर संकट के समय सभी की मदद कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक नई मिसाल पेश की है।

रूस युद्ध की जगह यदि शांति वार्ता को वरीयता देता तो शायद उसका पक्ष मजबूत साबित होता। लेकिन बड़ा देश होने के बावजूद वह लगातार संकुचित दृष्टिकोण अपना रहा है। क्रीमिया को रूस के साथ जोड़ने वाले पुल को क्षतिग्रस्त होने के मामले में रूस की संघीय सुरक्षा सेवा ने 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। यह ताजा घटनाक्रम है जिसने आग में घी का काम किया है।

रूस-यूक्रेन युद्ध से न केवल इन दो देशों का बल्कि कमोबेश पूरी दुनिया का नुकसान हुआ है और हो रहा है। भारत सहित तमाम देशों में जो मंहगाई बढ़ रही है, युद्ध उसके पीछे एक बड़ा कारण रहा है। आम आदमी जो करोड़ो में है, रूस के कृत्य का खामियाजा भोग रहा है। युद्ध बंद होना चाहिए। रूस को विश्व जनमत का सम्मान करना चाहिए।