इटावा: शोक में डूबा सैफई गांव, हर शख्स की आंखों में हैं आंसू, नेताजी के निधन से सदमे में हैं समर्थक

इटावा। सैफई की धरती आज सूनी है। जिस गांव में नेताजी मुलायम सिंह यादव खेले कूदे और पले पढ़े। खेती किसानी और पहलवानी के रास्ते देश की राजनीति में शीर्ष पर पहुंचे। उनके राजनैतिक जीवन की साक्षी रहे सैफई गांव में सन्नाटा है। गांव के रहने वाले लोगों की आंखों में आंसू हैं। सैफई ने …
इटावा। सैफई की धरती आज सूनी है। जिस गांव में नेताजी मुलायम सिंह यादव खेले कूदे और पले पढ़े। खेती किसानी और पहलवानी के रास्ते देश की राजनीति में शीर्ष पर पहुंचे। उनके राजनैतिक जीवन की साक्षी रहे सैफई गांव में सन्नाटा है। गांव के रहने वाले लोगों की आंखों में आंसू हैं। सैफई ने आज अपना संरक्षक खो दिया। यह गम गांव के हर छोड़े बड़े को है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन की खबर मिलते ही पूरा सैफई और आसपास का क्षेत्र शोक में डूब गया।
आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और नेताओं के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया। जिलाधिकारी अवनीश राय और एसएसपी जय प्रकाश सिंह भी वीआईपी आगमन और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी पहुंचे। नेताजी का अंतिम संस्कार मंगलवार को दोपहर बाद तीन बजे सैफई में ही किया जाएगा। अंतिम संस्कार में शामिल होने में देश भर से नेताओं के आगे की जानकारी मिल रही है।
सैफई वैसे तो सामान्य गांव के रूप में जाना जाता रहा। वर्ष 1967 में जब मुलायम सिंह यादव कुश्ती के दंगल से उठकर पहली बार एमएलए के रूप में राजनीति के दंगल में पहुंचे तो इस गांव की चर्चा होने लगी। मुलायम को अपने गांव से इतना लगाव रहा कि वे राजनीति मे किसी सोपान पर रहे हों त्यौहार पर कभी अपने गांव आना नहीं भूलते थे। सैफई की कपड़ा फाड़ होली से फूलों की होली हो अथवा फाग मुलायम की सहभागिता रही। इसी तरह से दीपावली और रक्षाबंधन अपने के बीच मिलकर ही मनाया।
वर्ष 1997 में शुरु हुए सैफई महोत्सव को 2003 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अंतर्राष्टीय पहचान दी। सैफई में तत्कालीन राष्ट्रपति डा एपीजे अब्दुल कलाम भी आए। सैफई महोत्सव में फिल्म स्टार नाइट में बालीवुड के कई नामी गिराने सितारे पहुंचते रहे। सैफई में वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश ग्रामीण आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना की। जिसे वर्ष 2016 में मेडिकल यूनीवर्सिटी का दर्जा दिया गया।
मुलायम सिंह यादव के अचानक गुजर जाने से सैफई ही नहीं पूरे इटावा जिले के लोग सदमे में हैं। सैफई के ग्राम प्रधान रामफल बाल्मीकि के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे। उनका कहना है कि मुलायम सिंह यादव के जाने से हमारा सब कुछ चला गया है। देश ने किसानों, गरीबों का मसीहा खो दिया है। सहदेव सिंह का कहना है कि अब क्या कहें कुछ कहने को शेष नहीं है।
हम लोग पहले चले जाते परंतु नेताजी अभी बने रहते। लज्जाराम का कहना है कि नेताजी जैसा दूसरा कोई नहीं हो सकता है। देश का किसान गरीब कभी भुला नहीं पाएगा। लाखापुर के जगदीश सिंह यादव का कहना है कि हम नेताजी के भक्त रहे हैं। हमने सिक्कों से तौला। नेताजी के लिए हमने बहुत फाग गाई। वे सामान्य नेता नहीं देवता थे।
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