राजनीति के अखाड़े के पहलवान मुलायम सिंह यादव का निधन, UP में 3 दिन का राजकीय शोक, कल सैफई में अंतिम संस्कार

राजनीति के अखाड़े के पहलवान मुलायम सिंह यादव का निधन, UP में 3 दिन का राजकीय शोक, कल सैफई में अंतिम संस्कार

गुरुग्राम/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का आज (सोमवार, 10 अक्टूबर) निधन हो गया। सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (82) ने गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल सोमवार सुबह करीब सवा 8 बजे आखिरी सांस ली। यूपी सरकार ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर 3 दिन …

गुरुग्राम/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का आज (सोमवार, 10 अक्टूबर) निधन हो गया। सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (82) ने गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल सोमवार सुबह करीब सवा 8 बजे आखिरी सांस ली। यूपी सरकार ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर बिहार सरकार ने 10 अक्टूबर को एक दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया है।

7 बार सांसद रह चुके मुलायम पिछले कुछ दिनों से कई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहे थे जिसके बाद उन्हें इसी महीने आईसीयू में शिफ्ट किया गया था और उनकी हालत नाज़ुक बनी हुई थी। वह 22 अगस्त से मेदांता में भर्ती थे। वहीं 2 अक्टूबर से लगातार लाइफ सपोर्ट सिस्टम यानी वेंटिलेटर पर थे।

रविवार 9 अक्टूबर को मुलायम सिंह की हालत बिगड़ने पर आक्सीजन का लेबल बढ़ाया गया था। इससे करीब तीन घंटे बाद उनकी स्थिति पहले की तरह हो गई थी। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, उनकी हालत में लगातरा उतार-चढ़ाव हो रहा था। इसके चलते उन्हें 2 अक्टूबर से लगातार वेंटिलेटर सपोर्ट पर ही रखा गया था।

मुलायम सिंह यादव के पुत्र और यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार की सुबह ट्वीट के जरिए नेताजी के निधन की पुष्टि की। अखिलेश ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा- ‘मेरे आदरणीय पिताजी नहीं रहे।’ मुलायम सिंह का अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर 3 बजे सैफई में होगा।

उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि हम लोग मुलायम सिंह यादव के निधन की खबर पाकर काफी दुखी हैं और समाजवादी पार्टी उनके निधन पर शोक व्यक्त करती है। समाजवादी पार्टी उनकी आत्मा की शांति की कामना करती है। यह देश के लिए अपूरणीय क्षति है।

मुलायम सिंह यादव पर सपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि नेता जी भले हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका संघर्ष, विचार हमेशा हमारे बीच रहेगा… समाजवादी पार्टी के लखनऊ के मुख्यालय में पार्टी के झंडे को झुकाया है और एक शोक सभा भी की है। हमने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

अवनीश राय (ज़िलाधिकारी, सैफई, इटावा) ने कहा कि हमें सूचना मिली है कि नेता जी का अंतिम संस्कार यहां किया जाएगा। प्राथमिक व्यवस्था कि लिए पुलिस और प्रशासन की टीम यहां मौजूद हैं। प्राथमिक जानकारी के मुताबिक हमें अंतिम संस्कार का समय कल दोपहर का दिया गया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मायावती, जया प्रदा समेत तमाम नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है। सपा कार्यकर्ताओं में शोक की लहर है।

जानकारी के मुताबिक, मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार उत्तर प्रदेश के सैफई में होगा। अगले कुछ घंटों बाद उनका शव सैफई ले जाया जाएगा। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद यूपी के मैनपुरी की लोकसभा सीट रिक्त हो गई है।

CM Yogi ने जताया दुःख
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुलायम सिंह के पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके भाई रामगोपाल यादव से फोन पर बात की और संवेदनाएं व्यक्त की।

CM योगी ने कहा, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का निधन अत्यंत दुखदाई है। उनके निधन से समाजवाद के प्रमुख स्तंभ एवं संघर्षशील युग का अंत हुआ है। ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति की कामना एवं शोकाकुल परिजनों एवं समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। मुलायम सिंह यादव के निधन पर उत्तर प्रदेश सरकार 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा करती है,उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ होगा।

राष्ट्रपति ने जताया शोक

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ट्वीट कर संवेदना व्यक्त की। सपा नेता मुलायम सिंह यादव के निधन पर नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फ़ारुख़ अब्दुल्ला ने कहा कि वह बड़े नेता थे जिसे देश को जरूरत थी। वह ज़मीन और लोगों से जुड़े नेता थे। वह संसद में ऐसी बातें बोलते थे जो हुकूमत सुन सकती थी। उन्होंने गरीबों को उठाने और उनकी बदहाली दूर करने के लिए अपनी ज़िंदगी दी।

PM Modi ने जताया दुःख
पीएम मोदी ने कहा कि जब हमने अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के रूप में काम किया, तब मुलायम सिंह यादव जी के साथ मेरी कई बातचीत हुई। घनिष्ठता जारी रही और मैं हमेशा उनके विचारों को सुनने के लिए उत्सुक था। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और लाखों समर्थकों के प्रति संवेदना… ओम शांति।

विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा ICU में उनका इलाज किया जा रहा था। इलाज के दौरान उनके बेटे और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव समेत उनकी फैमिली भी गुरुग्राम में ही मौजूद रही। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत शिवपाल यादव व सपा के कई नेता व समर्थक वहां मौजूद हैं। बीते दिनों मुलायम को सीसीयू से निकाल कर आईसीयू में शिफ्ट किया गया था।

उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव देश में समाजवाद के वट वृक्ष माने जाते हैं। पत्नी साधाना गुप्ता के निधन के बाद दस जुलाई को लखनऊ में उनकी अन्येष्टि में शामिल होने के बाद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव गुरुग्राम लौटे और तभी से मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना गुप्ता को फेफड़े में इंफेक्शन की शिकायत थी। समाजवादी पार्टी के गठन के बाद चार अक्टूबर 1992 से एक जनवरी 2017 तक अध्यक्ष रहे मुलायम सिंह यादव बीते वर्ष कोरोना से संक्रमित होने के बाद से ही अस्वस्थ चल रहे हैं। 83 वर्षीय मुलायम सिंह यादव इन दिनों काफी कमजोर भी हो गए थे।

मुलायम सिंह को निम्न रक्तचाप और सांस लेने में तकलीफ के कारण पहले भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस बीच, यादव की तबियत में सुधार के लिए उनके पैतृक गांव सैफई समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में विशेष प्रार्थनाएं और दुआएं की जा रही थीं।

समाजवादी पार्टी (सपा) संस्थापक और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव को देखने बुधवार को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव पहुंचे थे। लालू के साथ उनके छोटे बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी थे। इस दौरान लालू और तेजस्वी ने मुलायम सिंह यादव के बेटे व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव से बातचीत की थी।

मुलायम के लिए किडनी देने को तीन पार्षदों ने अखिलेश को लिखा पत्र
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की नाजुक हालत को देखते हुए तीन पार्षदों ने मुलायम सिंह के लिए किडनी देने के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखा था। साथ ही मेदांता हॉस्पिटल के निदेशक को भी पत्र लिखा है।

वार्ड संख्या 49 से पार्षद गौरव गौरव सक्सेना, वार्ड 52 से पार्षद शमीम अहमद, हजियापुर पार्षद रईस मियां अब्बासी ने कहा है कि वह वर्षों से समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं। पार्टी की छांव में आगे बढ़े हैं। इसी बीच सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बीमारी की खबर उन्हें पता लगी तो वह उन्हें किडनी देने को तैयार हैं। कहा, चिकित्सकों ने उनकी किडनी खराब होने की बात कही है। ऐसे में वह किडनी देने को तैयार हैं। उन्हें कभी भो हॉस्पिटल बुलाया जा सकता है। कहा, अपने नेता के लिए किडनी देना गर्व की बात है।

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राजनीति में मुलायम सिंह यादव का कुनबा
देश की राजनीति में  मुलायम सिंह यादव का कुनबा सबसे बड़ा है। परिवार के 25 से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो राजनीति में सक्रिय हैं। मुलायम सिंह यादव के बाबा का नाम मेवाराम था। मेवाराम के दो बेटे थे। सुघर सिंह और बच्चीलाल सिंह। सुघर सिंह के पांच बेटे हुए। इनमें मुलायम सिंह यादव, रतन सिंह, राजपाल सिंह यादव, अभय राम सिंह और शिवपाल सिंह यादव। भाइयों में मुलायम सिंह तीसरे नंबर और शिवपाल सिंह सबसे छोटे हैं।

मुलायम सिंह यादव के बारे में
लोहिया आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था। पांच भाइयों में मुलायम तीसरे नंबर पर हैं। उन्होंने चार अक्टूबर 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। मुलायम सिंह ने मालती देवी से पहली शादी की थी। अखिलेश यादव मुलायम और मालती देवी के ही बेटे हैं।

मुलायम की दूसरी शादी साधना गुप्ता से हुई। साधना और मुलायम के बेटे प्रतीक यादव हैं। अखिलेश यादव ने 24 नवंबर 1999 डिंपल यादव से शादी की, जबकि प्रतीक की शादी अपर्णा यादव से हुई है। अखिलेश मौजूदा समय में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। डिंपल भी सांसद रह चुकी हैं। 2019 चुनाव वह कन्नौज से हार गईं थीं। अखिलेश ने ऑस्ट्रेलिया से पढ़ाई की है।

प्रतीक यादव राजनीति से दूर रहते हैं। वह जिम संचालित करते हैं। उनकी पत्नी अपर्णा यादव जरूर राजनीति में कदम रख चुकी हैं। अपर्णा 2017 में सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ी थीं। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।

दो बार प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव राजनीति के अखाड़े का पहलवान। सियासत में उनकी हमेशा यही इमेज रही है। वह प्रतिद्वंद्व‍ियों को चित करने के माहिर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में उन्‍होने वह ऊंचाई हासिल की जो किसी भी नेता के लिए सपना होता है। उन्‍होंने तीन बार राज्‍य की कमान संभाली। देश के रक्षा मंत्री भी बने। हालांकि, प्रधानमंत्री बनने से चूक गए। ऐसा दो बार हुआ। एक बार 1996 में। दूसरी बार 1999 में ऐसा मौका बना था। ‘नन्‍हे नेपोलियन’ ने इस बात को मन में रखा भी नहीं। उन्‍होंने साफ कहा कि वह प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। लेकिन, लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, चंद्र बाबू नायडू और वीपी सिंह के कारण प्रधानमंत्री नहीं बन पाए। चरण सिंह मुलायम को नन्‍हा नेपोलियन कहकर बुलाते थे। जिन नेताजी ने राजनीति में सबको धोबी पछाड़ खिलाई, वह कैसे एक नहीं दो-दो मौकों पर चूक गए, उसकी कहानी भी दिलचस्‍प है।

1996 की बात है। उस समय लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खाते में 161 सीटें आई थीं। अटल बिहारी वाजपेयी ने सरकार बनाने का निमंत्रण स्‍वीकार किया था। वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। यह और बात है कि 13 दिनों के बाद सरकार गिर गई। अब सवाल खड़ा हुआ कि नई सरकार कौन बनाएगा। कांग्रेस के कोटे में 141 सीटें आई थीं। वह खिचड़ी सरकार बनाने के मूड में नहीं थी। तब वीपी सिंह पर सबकी नजरें टिक गई थीं। वह 1989 में मिली-जुली सरकार बना चुके थे। लेकिन, उन्‍होंने प्रधानमंत्री बनने से मना कर दिया। उन्‍होंने तब बंगाल के सीएम ज्‍योति बसु का नाम आगे बढ़ाया था। हालांकि, पोलित ब्‍यूरो ने वीपी सिंह के प्रस्‍ताव को नामंजूर कर दिया।

इसके बाद मुलायम और लालू प्रसाद यादव का नाम प्रधानमंत्री की रेस में सबसे आगे आ गया था। हालांकि, चारा घोटाले में नाम आने के कारण लालू दौड़ से बाहर हो गए। तब सबको एक करने का काम वामदल के बड़े नेता हर किशन सिंह सुरजीत को सौंपा गया था। इसमें वह सफल रहे थे। उन्‍होंने मुलायम के नाम की पैरवी की थी। हालांकि, लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने मुलायम के नाम का विरोध किया था। बाद में देवगौड़ा और आईके गुजराल मंत्रिमंडल में वह रक्षा मंत्री रहे। यह अलग बात है कि प्रधानमंत्री न बन पाने की टीस उनके मन में बनी रही। एक रैली में यह निकल भी गई। उन्‍होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, चंद्र बाबू नायडू और वीपी सिंह के चलते वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाए।

तब मुलायम के शपथ ग्रहण तक की तैयारी हो गई थी। लेकिन, अचानक पर्दे के पीछे खेल हो गया। इसमें लालू और शरद यादव ने अड़ंगा लगा दिया। इसके बाद एचडी देवगौड़ा को शपथ दिलाई गई। यह मिली-जुली सरकार थी। यह सरकार भी जल्दी ही गिर गई थी। 1999 में फिर चुनाव हुए। मुलायम सिंह ने संभल और कन्नौज सीट से जीत हासिल की। दोबारा मुलायम सिंह यादव का नाम सामने आया। लेकिन, दूसरे यादव नेताओं ने फिर अपने हाथ पीछे खींच लिए। इस तरह दो बार वह प्रधानमंत्री बनने से बस थोड़ा सा दूर रह गए। बाद में उन्होंने कन्नौज सीट अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए छोड़ दी थी। उपचुनाव में अखिलेश पहली बार सांसद बने।

पहलवानी का था शौक
मुलायम सिंह यादव की गिनती भारतीय राजनीति के खांटी नेताओं में होती है। उनका जन्म 21 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के सैफई में हुआ। मुलायम अपने पांच भाई बहनों में रतन सिंह से छोटे और अभय राम, शिवपाल, राम गोपाल सिंह और कमला देवी से बड़े थे। उन्‍होंने पहलवानी से अपना करियर शुरू किया। पेशे से अध्‍यापक रहे। उन्‍होंने कुछ समय तक इंटर कॉलेज में अध्‍यापन किया। पिता सुधर उन्‍हें पहलवान बनाना चाहते थे। फिर अपने राजनीतिक गुरु नत्‍थू सिंह को प्रभावित करने के बाद मुलायम ने जसवंत नगर विधानसभा सीट से चुनावी अखाड़े से कदम रखा। मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी के सीएम रहे हैं। वह 1982-1985 तक विधान परिषद के सदस्‍य रहे। उत्‍तर प्रदेश विधानसभा के वह आठ बार सदस्‍य रहे।

5 दशक का राजनीतिक करियर
मुलायम सिंह यादव ने 1992 में सपा का गठन किया था।
– 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996- 8 बार विधायक रहे।
– 1977 उत्तर प्रदेश सरकार में सहकारी और पशुपालन मंत्री रहे. लोकदल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष भी रहे।
– 1980 में जनता दल प्रदेश अध्यक्ष रहे।
– 1982-85- विधानपरिषद के सदस्य रहे।
– 1985-87- उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे।
– 1989-91 में उत्तर प्रदेश के सीएम रहे।
– 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया।
– 1993-95- उत्तर प्रदेश के सीएम रहे।
– 1996- सांसद बने।
– 1996-98- रक्षा मंत्री रहे।
– 1998-99 में दोबारा सांसद चुने गए।
– 1999 में तीसरी बार सांसद बन कर लोकसभा पहुंचे और सदन में सपा के नेता बने.।
– अगस्त 2003 से मई 2007 में उत्तर प्रदेश के सीएम बने।
– 2004 में चौथी बार लोकसभा सांसद बने।
– 2007-2009 तक यूपी में विपक्ष के नेता रहे।
– मई 2009 में 5वीं बार सांसद बने।
– 2014 में 6वीं बार सांसद बने।
– 2019 से 7वीं बार सांसद थे।

तमाम नेताओं ने ‘नेता जी’ के निधन पर जताया दुःख

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