माता मंदिर लालबाग : 550 वर्ष पूर्व प्रकट हुई थीं मां काली
मुरादाबाद,अमृत विचार। रामगंगा नदी के किनारे लालबाग स्थित मां काली का मंदिर 550 वर्ष पुराना है। श्री पंचदश नाम जूना अखाड़ा (श्री काशी) द्वारा संचालित यह मंदिर पहले नागा बाबा मिश्री गिरी जी का टीला के नाम से प्रसिद्ध था। यहां काली माता स्वयं प्रकट हुई थीं। वैसे तो हर दिन इस मंदिर में सैकड़ों …
मुरादाबाद,अमृत विचार। रामगंगा नदी के किनारे लालबाग स्थित मां काली का मंदिर 550 वर्ष पुराना है। श्री पंचदश नाम जूना अखाड़ा (श्री काशी) द्वारा संचालित यह मंदिर पहले नागा बाबा मिश्री गिरी जी का टीला के नाम से प्रसिद्ध था। यहां काली माता स्वयं प्रकट हुई थीं। वैसे तो हर दिन इस मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालु मां काली के दर्शन के लिए आते हैं मगर नवरात्र में संख्या हजारों में पहुंच जाती है। यह मंदिर स्थानीय ही नहीं दिल्ली, गाजियाबाद, लखनऊ, बरेली व आसपास के जिलों के भक्तों की आस्था का केंद्र है।
रेलवे व बस स्टेशन से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर के लिए निजी साधन के अलावा ई रिक्शा, ऑटो भी आसानी से मिलती हैं। मंदिर के महंत सज्जन गिरी कहते हैं कि मां के दरबार में भक्तों की आस्था है और मां उनकी मुराद पूरी करतीं हैं। मन्नत पूरी होने पर मंदिर परिसर में भक्त भंडारा करते हैं। गाजियाबाद, दिल्ली, लखनऊ और उत्तराखंड से भी बड़ी संख्या में भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं। नवरात्र में मंदिर को विशेष रूप से सजाने के लिए दिल्ली से कारीगर आए हैं। मंदिर की साज-सज्जा मैरी गोल्ड, रजनी, लिली, विदेशी गुलाब समेत दर्जनों प्रजाति के पांच ट्रक फूलों से कराई गई है।
लालबाग निवासी 75 वर्षीय राकेश की मंदिर में पूरी आस्था है। कहते हैं कि यहां सैकड़ों ऐसे लोग हैं जिनकी माता रानी के आशीर्वाद से मनोकामना पूरी हुईं। स्थानीय 62 वर्षीया रामवती कहतीं हैं कि जो भक्त पूरी आस्था से माता रानी के दर्शन करने आते हैं उनकी मनोकामना पूरी होती है।
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