ज्ञानवापी मामले में अदालत का फैसला उपासना स्थल कानून का स्पष्ट उल्लंघन: माकपा
नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मंगलवार को दावा किया कि ज्ञानवापी मामले में जिला अदालत का फैसला उपासना स्थल कानून, 1991 का स्पष्ट उल्लंघन है। माकपा ने एक बयान में कहा कि न्यायपालिका के एक हिस्से की तरफ से कानून की गलत व्याख्या किए जाने से इसके गंभीर नतीजे होंगे कि मानो यह …
नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मंगलवार को दावा किया कि ज्ञानवापी मामले में जिला अदालत का फैसला उपासना स्थल कानून, 1991 का स्पष्ट उल्लंघन है। माकपा ने एक बयान में कहा कि न्यायपालिका के एक हिस्से की तरफ से कानून की गलत व्याख्या किए जाने से इसके गंभीर नतीजे होंगे कि मानो यह कानून किसी चीज को रोकने के लिए था। वाम दल ने आरोप लगाया कि इसमें कोई गोपनीय बात नहीं है कि भाजपा इतिहास से छेड़छाड़ करती है ताकि अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया जा सके।
उसने कहा कि 1991 का कानून सांप्रदायिक सद्भाव के राष्ट्रीय हित को कायम रखने के लिए बनाया गया था। वाराणसी के जिला जज ए. के. विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की विचारणीयता को चुनौती देने वाले मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि यह मामला उपासना स्थल अधिनियम और वक्फ अधिनियम के लिहाज से वर्जित नहीं है, लिहाजा वह इस मामले की सुनवाई जारी रखेगी। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।
ये भी पढ़ें- केंद्रीय एजेंसियों को मोदी सरकार ने विपक्ष के पीछे लगा रखा है: गहलोत