असम मदरसा विध्वंस : सांसद ने अल्पसंख्यक आयोग को हस्तक्षेप करने के लिए सौंपा ज्ञापन

असम मदरसा विध्वंस : सांसद ने अल्पसंख्यक आयोग को हस्तक्षेप करने के लिए सौंपा ज्ञापन

नई दिल्ली। असम के सांसद अब्दुल खालिक के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में बोंगाईगांव जिले में एक मदरसे को तोड़े जाने को लेकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा से मुलाकात कर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को लालपुरा से उनके कार्यालय में मुलाकात …

नई दिल्ली। असम के सांसद अब्दुल खालिक के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में बोंगाईगांव जिले में एक मदरसे को तोड़े जाने को लेकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा से मुलाकात कर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को लालपुरा से उनके कार्यालय में मुलाकात करके इस संबंध में उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा।

ज्ञापन में राज्य सरकार की कार्रवाई को कानून उल्लंघन करार दिया गया। उन्होंने कहा कि बोंगईगांव जिले में मरकज़ुल मा-आरिफ क्वारियाना मदरसा को 31 अगस्त को जिला प्रशासन द्वारा गिरा दिया गया था। आदेश में कहा गया है कि मदरसे के पास एक ही परिसर में बहुउद्देश्यीय गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं है। इसने यह भी बताया गया है कि मदरसा संरचनात्मक कमजोर और मानव निवास के लिए असुरक्षित है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिला प्रशासन ने मदरसे के 224 आवासीय छात्रों को परिसर खाली करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया। जिसमें से अधिकतर नाबालिग छात्र है।

सांसद ने कहा कि छात्रों को आधी रात को परिसर खाली करना पड़ा, उनके पास कोई आश्रय नहीं बचा था क्योंकि उनमें से अधिकतर दूर स्थानों के रहने वाले थे। यह इन नाबालिग छात्रों के प्रति भी अमानवीय कृत्य है, जिन्हें इस तरह की गैरकानूनी कार्रवाई से शिक्षा के अधिकार से वंचित किया गया है। उन्होंने कहा कि पूरी कार्रवाई मदरसे के एक शिक्षक की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जिसे हाल ही में आतंकवादी समूहों के साथ कथित संबंधों के लिए गिरफ्तार किया गया था।

गिरफ्तार शिक्षक को पहले ही निलंबित कर दिया गया था और मदरसा प्रबंधन ने जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग दिया। लेकिन एजेंसियों की तलाशी के दौरान परिसर में कोई आपत्तिजनक दस्तावेज नहीं मिला। इस मामले को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर हमला करते हुए प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने मदरसे को आतंकवादी केंद्र करार दिया। अगर उक्त परिसर आतंकवादियों का गढ़ होता तो एजेंसियों को दस्तावेज और आतंकवाद से जुड़े और लोगों को ढूंढना चाहिए था। लेकिन उन्हें इस तरह का कुछ भी नहीं मिला।

किसी भी व्यक्ति के आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के मामले में कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कानून का उल्लंघन और दुरुपयोग कर सुरक्षा की आड़ में इमारत को गिराया गया। उन्होंने कहा कि एनसीएम अध्यक्ष ने हमें आश्वासन दिया कि वह तीन सप्ताह के भीतर हमारी याचिका पर स्पष्टीकरण के लिए असम के मुख्य सचिव को लिखेंगे।

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