लाकडाउन की सीमा

देशभर में लाकडाउन बढ़ाए जाने की चर्चा के बीच उड़ीसा सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए लाकडाउन की अवधि 30 अप्रैल तक किए जाने का निर्णय ले लिया है, जो कि कोरोना के खिलाफ युद्ध में उसकी प्रतिबद्धता के रूप में सामने आया है। इसके साथ अन्य राज्यों और केंद्र सरकार पर भी अब नजर …

देशभर में लाकडाउन बढ़ाए जाने की चर्चा के बीच उड़ीसा सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए लाकडाउन की अवधि 30 अप्रैल तक किए जाने का निर्णय ले लिया है, जो कि कोरोना के खिलाफ युद्ध में उसकी प्रतिबद्धता के रूप में सामने आया है। इसके साथ अन्य राज्यों और केंद्र सरकार पर भी अब नजर रहेगी कि इस दिशा में क्या कदम उठाया जाता है।

महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश समेत कई अन्य प्रदेशों में कोरोना के लगातार नए मामले सामने आ रहे हैं। उड़ीसा सरकार के निर्णय के बाद एक बार फिर बात शुरू हो गई है कि आखिर लाकडाउन को बढ़ाया जाए अथवा नहीं।

लाकडाउन में थोड़ा ढील देने की बात कहकर कुछ राजनीतिक दल लोगों की परेशानी का पक्ष रख रहे हैं तो अधिकांश राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जो भी निर्णय लेती है, उसका समर्थन किया जाएगा।

कोरोना के खिलाफ युद्ध में भारतीय राजनीतिक दलों का एक सुर में सुर मिलाना भी एक सकारात्मक संकेत है, अन्यथा अब तक के अनुभवों के आधार पर कहा जा सकता है कि राजनीतिक दलों का कार्य केवल किसी भी परेशानी, नए निर्णयों के वक्त केवल और केवल सरकार का विरोध करना ही रहा है। मगर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सारे विरोधी दल भी नरेंद्र मोदी सरकार के साथ खड़े हैं।

दरअसल यह मुद्दा है ही इतना संवेदनशील कि यहां राजनीति की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है, शायद इस बात का गुमान विपक्षी दलों को भी होगा। लाकडाउन के मुद्दे पर किसी भी राजनीतिक दल ने प्रत्यक्ष रूप से सरकार के निर्णय का विरोध नहीं किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दलों की साझा बैठक में सभी ने अपने कुछ सुझावों के साथ सरकार के अब तक उठाए गए कदमों का समर्थन ही किया। चूंकी 14 अप्रैल की तारीख अब नजदीक है, लिहाजा केंद्र सरकार को अब यह तय करना होगा कि वर्तमान परिस्थिति में उसका अगला कदम क्या होगा।

जैसा कि कहा जा रहा है कि 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक बार फिर परिस्थिति की समीक्षा करते हुए बैठक करेंगे, तो उम्मीद की जानी चाहिए कि उस बैठक के बाद 12 अप्रैल तक इस मुद्दे पर जो भी निर्णय लिया जाना हो उसकी जानकारी देशवासियों तक पहुंचे सके ताकि इस बारे में चल रही सारी कयासबाजी दूर हो सके।

उड़ीसा सरकार ने तो स्कूल-कॉलेज भी 17 जून तक बंद करने की घोषणा कर दी है तो ऐसे में यह लाजिमी है कि अन्य राज्य भी उसका अनुसरण करें, खासकर कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभािवत राज्य। बहरहाल इस वक्त इस महामारी को मात देने के लिए सरकार के हर निर्णय के साथ चलकर ही इसे मात दी जा सकती है।

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