बरेली: जबरन लोन वसूली पर कसी लगाम, बढ़ा न दे बैंकों का एनपीए

बरेली, अमृत विचार। बैंक ऋण रिकवरी एजेंट यदि किसी भी ऋणधारक के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग व धमकी देता है तो उसपर कार्रवाई होगी। इसको लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से सीमित नियमों के तहत वसूली करने के निर्देश जारी किए गए हैं। जिले में 10 हजार से अधिक लोगों को तमाम …
बरेली, अमृत विचार। बैंक ऋण रिकवरी एजेंट यदि किसी भी ऋणधारक के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग व धमकी देता है तो उसपर कार्रवाई होगी। इसको लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से सीमित नियमों के तहत वसूली करने के निर्देश जारी किए गए हैं। जिले में 10 हजार से अधिक लोगों को तमाम बैंकों की ओर से ऋण आवंटित किए गए हैं। इस निर्देश के जारी होने के बाद परेशान ऋणधारकों को थोड़ी राहत मिलेगी। वहीं, बैंकों का एनपीए बढ़ने का अंदेशा जताया जा रहा है।
निर्देशों के अनुसार एजेंट कर्ज की वसूली करते समय किसी तरह की डराने-धमकाने वाली हरकत न करें। किसी भी कर्जदार के साथ गाली-गलौच या हाथापाई नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही बैंक, नॉन-बैंक और दूसरी बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके रिकवरी अभिकर्ताओं को कर्जदार के दोस्तों या परिजनों के साथ सार्वजनिक रूप से कोई अभद्रता नहीं करनी चाहिए और न ही उनकी निजी जिंदगी में दखल देना चाहिए।
कर्जदारों को मोबाइल या सोशल मीडिया के जरिए डराने-धमकाने वाली मैसेज नहीं भेजने चाहिए और न ही इस तरह के कॉल करनी चाहिए। बार-बार फोन करने की समस्या को देखते हुए अभिकर्ताओं की ओर से सुबह 8 से शाम 7 बजे तक ही फोन करने की सीमा लागू की गई है। विशेषज्ञों के अनुसार आरबीआई की ओर से रिकवरी अभिकर्ताओं की सीमा सीमित करना एक सकारात्मक निर्णय है, लेकिन इसके साथ ही लगातार बढ़ रहे एनपीए व बैड डेब्यू के संबंध में भी आरबीआई को जल्द ही नई गाइडलाइन जारी करनी होगी।
क्या बोले लोग
बैंक का कर्ज समय से वापस करना भी देश सेवा का ही हिस्सा है। बैंक और ग्राहक के बीच यह तालमेल बलपूर्ण न होकर आपसी सामंजस्यपूर्ण होना चाहिए। बैंक का ऋण समय से वापस करना चाहिए—आशीष शुक्ला।
ऋणी के घर पर बैंक के एजेंट दबिश देते हैं, जिससे उनके मान सम्मान को ठेस पहुंचती है। एक समय था जब ऋण बाकी होने पर वाहन की चाबी सड़क पर छीन ली जाती थी। अब यह सब बंद होगा, लेकिन इसके साथ ही डिफाल्टरों के लिए भी सख्त कानून बनाने की जरूरत है—संजीव मेहरोत्रा महामंत्री, बरेली ट्रेड यूनियन फेडरेशन।
इस नीति के परिणाम दूरगामी हैं। बैंक जनता की जमा पूंजी को ही ऋण के रूप में देती है। जनता का मूल कर्तव्य है कि ऋण को समय से चुकाए। सरकार को बैड डेब्यू और एनपीए को कम करने के लिए और ध्यान देना चाहिए—शैलेंद्र कश्यप।
इस फैसले से एनपीए की दर बढ़ सकती है। वास्तव में मजबूर लोग हैं, उनको थोड़ी राहत जरूर मिलेगी लेकिन इसके साथ ही डिफाल्टर इसका फायदा उठाना शुरू कर देंगे। बैंकों पर और भार बढ़ जाएगा—रमीज अली।
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