कानपुर: उर्सला अस्पताल में फटे गद्दे और गंदगी के बीच जिंदगी की जंग लड़ने को मजबूर हैं मरीज

कानपुर। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक आए दिन अस्पतालों में छापेमारी कर व्यवस्था जांच रहे हैं। अव्यवस्था मिलने पर वे कार्रवाई भी करते हैं, लेकिन अस्पतालों के हालात सुधर नहीं रहे हैं। अमृत विचार की टीम ने रविवार रात उर्सला अस्पताल की पड़ताल की तो वहां अव्यवस्था का आलम देखने को मिला। बेसहारा मरीजों के वार्ड …
कानपुर। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक आए दिन अस्पतालों में छापेमारी कर व्यवस्था जांच रहे हैं। अव्यवस्था मिलने पर वे कार्रवाई भी करते हैं, लेकिन अस्पतालों के हालात सुधर नहीं रहे हैं। अमृत विचार की टीम ने रविवार रात उर्सला अस्पताल की पड़ताल की तो वहां अव्यवस्था का आलम देखने को मिला। बेसहारा मरीजों के वार्ड की स्थिति तो सर्वाधिक खराब थी। दो बेड पर तो गद्दे पूरी तरह से फटे हुए थे। इससे लगे वार्ड की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है।
हालात ऐसे की अंदर बदबू के कारण किसी को भी उल्टी हो जाए। जहां मरीज खाना खा रहे उसके बगल वाली बैड में गंदगी किए मरीज चादर में लपेटे पडा है। अस्पताल के सामने बने इमेरजेंसी के वार्डों की स्थिति खस्ताहाल है। सीलन से भरी बिल्डिंग में काफी बदबू है। वार्डों के अंदर मरीज के बेड के गद्दे खराब हालत में हैं साथ ही डॉक्टर्स केबिन के बाहर वाहन खडे थे जिससे स्ट्रेचर ले कर जाने में मरीज तीमारदारों को खासी परेशानी का सामना करना पडा। मंकीपॉक्स और वायरस से फैली रहे बीमारियों की गाइडलाइन तो जारी कर दी गई है। लेकिन इसका असर यहां नहीं दिखा।
एक वार्ड की स्थिति काफी खराब थी। वार्ड के अंदर घुसते ही इतनी बदबू की पूरा शरीर हिल जाए। वहां तीस से अधिक मरीज भर्ती थे और कुछ खाने की तैयारी कर रहे थे। वहां बदबू का कारण पूछा तो मालूम चला कि एक मरीज ने बेड में गंदगी कर दी है। उसे कोई उठाने वाला नहीं। फीवर वार्ड , आईसीयू तक लोग वाहन लेकर जाते हैं। यहां तक तीसरी मंजिल पर भी लोग वाहन लेकर जा रहे हैं। इनमें सर्वाधिक कर्मचारी हैं।
यहां बेसहारा मरीज रहते हैं। इसलिए बेड नहीं बदलवाया है। वे गंदगी भी करते रहते हैं। अन्य वार्डों में बेड बदले गए हैं। जल्द ही वहां भी बेड बदले जाएंगे…डॉ. अनिल कुमार निगम , मुख्य चिकित्सा अधीक्षक।
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