हल्द्वानी: जिसकी आवाज सुन करोड़ों लोगों की सुबह होती है उसी आवाज को सोशल मीडिया का सहारा क्यों लेना पड़ गया…

भूपेश कन्नौजिया, अमृत विचार। गुरुवार दोपहर से ही एक पोस्ट सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर तैर रही थी, पोस्ट थी युवा दिलों की धड़कन और इंस्टाग्राम में हर तीसरे बंदे की रील में जो बैकग्राउंउ में आवाज आती है न उस मशहूर रेडियो जॉकी और स्टोरी टेलर पंकज जीना की… बिल्कुल सही पकड़ा आपने …
भूपेश कन्नौजिया, अमृत विचार। गुरुवार दोपहर से ही एक पोस्ट सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर तैर रही थी, पोस्ट थी युवा दिलों की धड़कन और इंस्टाग्राम में हर तीसरे बंदे की रील में जो बैकग्राउंउ में आवाज आती है न उस मशहूर रेडियो जॉकी और स्टोरी टेलर पंकज जीना की…
बिल्कुल सही पकड़ा आपने हम उसी पंकज जीना की बात कर रहें हैं जिसकी मूल जडें तो ज्योलीकोट के चोपड़ा गांव में हैं और अपने पैशन और प्रोफेशन के चलते बनारस की गलियों में रेडियो सिटी 91.9 एफएम के रिकार्डिंग रूम से आपके लिए रोज कुछ नया लेकर आता है। खैर हर युवा दिल अजीज इस शख्स की जिस पोस्ट की बात कर रहें हैं वह कुछ इस प्रकार है, इस बात पर खबर लिखने से बेहतर है कि आप उनकी लिखी इस पोस्ट को खुद ही पढ़ लें और अंदाजा लगाइए शासन-प्रशासन की काहिली का…
“हमको आदत हो गयी है वादों की..मेरा घर, नैनीताल के चोपड़ा गाँव में है।अक्टूबर का महीना था और साल 2021, मेरे गांव चोपड़ा में, जहां मेरा घर है, उसके ठीक ऊपर एक चट्टान का टूटना शुरु हुआ, दरअसल उस चट्टान के ऊपर बहुत बड़े पत्थर थे, जो टूटने लगे। बरसात के साथ उन चट्टानों के गिरने से, गांव वालों से लेकर,प्रशाशन तक, सब परेशान हो गए थे। सबकी चर्चाओं में, वह गिरते पत्थर प्रमुख केंद थे। उन दिनों चुनाव होने वाले थे इसीलिए हमारे गांव को आश्वासन देहरादून तक से मिल गए। ऐसा लग रहा था, कुछ ही दिनों में उन पत्थरों से बचाव के लिए कदम उठाये जाएंगे। उम्मीद पर जैसे दुनिया कायम है, हम भी वैसे ही कायम थे। अधिकारी आए, बैठे और कुछ फाइलों में, रिपोर्ट दर्ज कर चले गए। वह बेमौसम बरसात गयी तो, अधिकारी भी कहीं गायब हो गए।
देहरादून वालों ने तो, जवाब देना ही बन्द कर दिया।गाँव के कुछ लोग अधिकारियों और नेतागणों से मिलते रहे और राजनीति चलती रही।फ़ाइल बन्द हुई और रिपोर्ट में लिखा गया, घर को कोई खतरा नहीं है। कल से बारिशें पहाड़ों में फिर से शुरू हुई, पत्थरों का दुबारा गिरना शुरू हो गया। तबाही के मुहाने पर, अब पूरा गांव आ गया है। लोगों के, बरसों मेहनत से बसाए आशियाने पर, प्रकृति का प्रकोप गिरने वाला है लेकिन अफसोस की बात है, इस बात की किसी को फिक्र नहीं है। अब इलेक्शन नहीं हैं न, नहीं तो,मेरे गांव की बातें भी हॉट टॉपिक होती। हम घर के बेटे गांव से दूर, रोटियों के इंतज़ाम में, जब खुद को गला रहे हैं, वहां हमारा गांव बर्बाद होने की राह पर खड़ा है। घर के मवेशी परेशान हैं और साहेब लोग तो, वैसे भी इन चीजों की फ़िक्र नहीं करते।”
बहरहाल उम्मीद है इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अब शायद जिला प्रशासन सुध ले और पंकज के घर,गांव वासी और मवेशियों की सुरक्षा के लिए कुछ कदम बढ़ाए…