वाराणसी: हिंदू पक्ष का दावा महादेव की है जमीन, ज्ञानवापी केस में कल फिर होगी सुनवाई

वाराणसी: हिंदू पक्ष का दावा महादेव की है जमीन, ज्ञानवापी केस में कल फिर होगी सुनवाई

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी मंदिर में प्रतिदिन पूजा अर्चना की अनुमति देने संबंधी अर्जी पर जिला अदालत में मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने अपनी बहस पूरी कर ली। मुस्लिम पक्ष जिस जमीन पर अपना दावा कर रहा है वो जमीन आदि विश्वेश्वर महादेव की …

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी मंदिर में प्रतिदिन पूजा अर्चना की अनुमति देने संबंधी अर्जी पर जिला अदालत में मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने अपनी बहस पूरी कर ली।

मुस्लिम पक्ष जिस जमीन पर अपना दावा कर रहा है वो जमीन आदि विश्वेश्वर महादेव की है। उस पर जबरदस्ती नमाज पढ़ी जा रही है। फिलहाल, कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए गुरुवार की तारीख नीयत की है। कल एक बार फिर हिंदू पक्ष अपनी दलीलें रखेगा।

जिला जज डॉ. अजय शंकर विश्वेश ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई की अगली तारीख 13 जुलाई मुकर्रर की थी। याचिका पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि तकनीकी आधार पर की याचिका खारिज हो जाएगी। उन्होंने कहा, वे सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार को रिप्रेजेंट करते हैं। लेकिन यहां हिंदू पक्ष की तरफ से बहस कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि यूपी सरकार की तरफ से उन्होंने वकालतनामा दाखिल नहीं किया।

इससे पहले यादव ने कहा कि यह मामला पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) कानून 1991 के तहत सुनवाई के योग्य नहीं है, अत: इस अर्जी को खारिज किया जाना चाहिये। इसके जवाब में जैन ने कहा कि किसी स्थान को महज नमाज अदा किये जाने के आधार पर मस्जिद नहीं कहा जा सकता है।

इस समय कोर्ट में वकील कमिश्नर रह चुके विशाल सिंह भी उपस्थित हैं। राइट टू वॉरशिप ऐक्ट पर विष्णु शंकर जैन सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने केस का हवाला दे रहे हैं। जैन ने 16वीं शताब्दी का इतिहास बताया, इसके साथ ही काशी का इतिहास, वैभव काशी का हवाला दिया गया. 8 मंडप का जिक्र किया।

उन्होंने इस्लामिक मान्यताओं के आधार पर उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि नमाज कहीं भी अदा की जा सकती है, इसके लिये मस्जिद का होना जरूरी नहीं है।

हरिशंकर जैन ने कहा कि सर्वे के दौरान गदा, शंख, चक्र, त्रिशूल, कमल, सूर्य के प्रमाण यह साबित करते हैं कि यह मंदिर ही है। पश्चिम में ध्वंस आराध्य स्थल में हिंदू प्रतीकों की बहुल्यता यह साबित करती है कि यही आदि विश्वेश्वर हैं।

‘मुद्दे से भटकाने की है साजिश’

विष्णु जैन ने कहा, उनके ऊपर साजिश के तहत आरोप लगाए जा रहे हैं। ये बड़ी साजिश है, ताकि मूल मुद्दे से ध्यान भटकाया जाए। लेकिन ये कोर्ट में नहीं चलेगा। तकनीकी आधार पर मुस्लिम पक्ष की याचिका कोर्ट में खड़ी नहीं हो सकती। इस पर वे कल ही यूपी सरकार की एनओसी वह कोर्ट में दाखिल कर चुके हैं।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला कोर्ट में यह सुनवाई चल रही है। मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलों में कहा कि हिंदू पक्ष का मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है और उसे खारिज कर दिया जाए। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में प्लेसेज ऑफ वॉरशिप एक्ट (स्पेशल प्रॉविजंस), 1991 लागू होता है। मतलब 1947 में आजादी के समय धार्मिक स्थलों की जो स्थिति थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। वहीं, इस पर हिंदू पक्ष ने कहा कि नमाज पढ़ने से कोई जगह मस्जिद नहीं हो जाती।

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