बाराबंकी: हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया कुर्बानी का त्योहार बकरीद, गले मिलकर लोगों ने दी बधाई

बाराबंकी: हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया कुर्बानी का त्योहार बकरीद, गले मिलकर लोगों ने दी बधाई

बाराबंकी। जिले में बकरीद का त्योहार रविवार को शान्ति पूर्वक ढ़ंग से मनाया गया। जिले की अलग-अलग ईदगाहों और मस्जिदों में पूरी अकीदत के साथ नमाजियों ने नमाज अदा की। सुबह आठ बजे शहर के पीरबटावन स्थित ईदगाह में नमाजियों ने मुल्क में अमन चैन और सामाजिक सौहार्द बना रहे इसके लिए दुआ मांगी। तमाम …

बाराबंकी। जिले में बकरीद का त्योहार रविवार को शान्ति पूर्वक ढ़ंग से मनाया गया। जिले की अलग-अलग ईदगाहों और मस्जिदों में पूरी अकीदत के साथ नमाजियों ने नमाज अदा की। सुबह आठ बजे शहर के पीरबटावन स्थित ईदगाह में नमाजियों ने मुल्क में अमन चैन और सामाजिक सौहार्द बना रहे इसके लिए दुआ मांगी। तमाम ईदगाहों में मेले भी लगे जहां बच्चों ने अपने मन पसन्द के सामान खरीदे। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर मस्जिदों और ईदगाहों के पास पुलिस मुस्तैद रही।

मुस्लिम धर्मगुरु बताते हैं हज़रत इब्राहीम के इकलौते बेटे इस्माइल की याद में रविवार को ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया जा रहा है। इसको लेकर मुस्लिम समुदाय में उल्लास साफ देखा जा सकता है। लोगों ने शासन के गाइडलाइन के अनुसार ही कुर्बानी दी। कहीं से भी प्रतिबंधित जगहों पर कुर्बानी देने की खबर नहीं मिली। वहीं लोग एक दूसरे के गले मिल आपसी भाईचारे का संदेश देते दिखाई दिये। लोगों ने विदेशों में रह रहे अपने प्रिय जनों को फोन , व्हाट्सएप काल के जरिए बकरीद पर्व की मुबारकबाद भी दी।

ईदगाह में आठ बजे से अदा हुई नमाज

ईदगाह शहरपीर बटावन—8:00
ईदगाह बंकी–7:30
ईदगाह बनवा—7:00
ईदगाह आलापुर—6:30
ईदगाह जिन्हौली–6:00
जामा मस्जिद—-7:00
सुन्नी कर्बला बेगमगंज–6:30
मस्जिद कचेहरी—-7:30
मस्जिद चंदना—7:00

बकरीद पर पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद

प्रदेश में बकरीद के मौके पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिसकर्मियों की सभी तरह की छुट्टियां रद कर दी गई हैं। पुलिस अधीक्षक अनुराग वत्स की ओर से इस संबंध में निर्देश पहले ही जारी कर दिये गये थे।

कुर्बानी के लगते हैं तीन हिस्से

बकरीद में कुर्बानी के बाद तीन हिस्से लगाये जाते हैं एक तिहाई हिस्सा गरीब को ,एक तिहाई हिस्सा रिश्तेदार या पड़ोसी को और बचे हुए हिस्से को घर परिवार के सदस्यों के लिए छोड़ा जाता है। आर्थिक रूप से विपन्न परिवार जो बकरे की कुर्बानी नहीं दे पाने में सक्षम है वो संकल्प लिये पैसों का तीन भाग कर इसी तरह दान कर देते हैं।

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