बरेली: हजारों लोगों की प्यास बुझाने वाले प्याऊ हुए लापता, पानी को तरसती जनता
बरेली। जल और समय का महत्त्व बस उन्हें ही पता चलता है, जिनके पास इनकी कमी होती है और ये अहसास तब और हो जाता है जब मई-जून की भीषण गर्मी में आपको पानी की दो बूंद मिल जाएं तो आप तर हो जाएं। यूपी के बरेली जनपद में करीब 15 साल पहले शहर की …
बरेली। जल और समय का महत्त्व बस उन्हें ही पता चलता है, जिनके पास इनकी कमी होती है और ये अहसास तब और हो जाता है जब मई-जून की भीषण गर्मी में आपको पानी की दो बूंद मिल जाएं तो आप तर हो जाएं।
यूपी के बरेली जनपद में करीब 15 साल पहले शहर की प्रमुख जगह (बटलर प्लाजा, सीतापुर आई हॉस्पिटल, पटेल चौक, क़ुतुब खाना पुलिस चौकी, कोहाड़ापीर पेट्रोल पम्प के सामने, अलखनाथ मंदिर परिसर, जिला अस्पताल परिसर, कचहरी व तहसील परिसर) चौराहों, सरकारी और निजी परिसरों में प्याऊ (ड्रिंकिंग वाटर कूलर) नजर आते थे। रोजाना यहां भीषण गर्मी में हजारों लोगों को ये हाईटेक प्याऊ राहत प्रदान करते थे। लेकिन अब ये प्याऊ विलुप्त हो गए।
दरअसल, वर्ष 2006-07 में ये प्याऊ विधायक निधि के माध्यम से लगवाए गए थे। जिनमें एक प्याऊ (ड्रिंकिंग वाटर कूलर) की कीमत तकरीबन ढाई लाख रुपए की थी। छोटा कमरा बनाकर उसमें वाटर कूलिंग मशीनें रख दी गईं। जहां किसी भी राहगीर को पानी मिलता रहा था। प्याऊ लगने के करीब 4-5 साल तक तो ठीक चले, लेकिन इसके बाद या तो प्याऊ खराब हो गए या फिर तोड़ दिए गए।
स्थानीय नागरिक बताते हैं कि कुछ प्याऊ को नगर निगम ने हटवा दिया तो कुछ चोरों के हत्थे चढ़ गए। वहीं, प्याऊ के नल की टोंटी तक लोग खोलकर ले गए। जो बाख भी गए हैं, वो बेहद जर्जर हालत में हैं, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
स्थानीय नागरिक बताते हैं कि इन प्याऊ के रख-रखाव की जिम्मेदारी कुछ समय के लिए निजी संस्थाओं ने ली थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता गया, संस्थाओं ने भी अपने हाथ पीछे कर लिए। जिसके बाद से प्याऊ जनता को और जनता प्याऊ को तरसने लगी।
वहीं, जिम्मेदार अधिकारी तो दूर जनप्रतिनिधि भी इस तरफ नहीं झांकते और ना ही इस बाबत संज्ञान लेकर कोई उचित कदम उठाते हैं। ऐसे में शहर में कहीं भी प्याऊ के व्यवस्था ना होने से राहगीरों के हलक सूख रहे हैं। प्यास लगने पर उन्हें मजबूरन बोतल खरीदकर पानी पीना पड़ रहा है।
आसपास के दुकानदार ये भी बताते हैं कि कभी इन प्याऊ पर लोगों की भीड़ लगी रहती थी। ठंडे पानी के कारण आसपास के दुकानदार भी यहां से बोतल में पानी भरकर ले जाते थे। लेकिन, अब पानी खरीदना पड़ता है।
दुकानदार बताते हैं कि पूरी मार्केट को पानी पिलाने वाला प्याऊ आज खुद पानी के लिए तरस रहा है। दुकानदारों को पानी खरीदना पड़ रहा है। वहीं, बस अड्डों और रेलवे स्टेशन का हाल भी बेहाल है।
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