जगन्नाथ रथ यात्रा: गुंडिचा मंदिर पहुंचे भगवान जगन्नाथ, CM पटनायक ने भी खींचा रथ, दर्शन पाकर लाखों भक्त हुए निहाल

जगन्नाथ रथ यात्रा: गुंडिचा मंदिर पहुंचे भगवान जगन्नाथ, CM पटनायक ने भी खींचा रथ, दर्शन पाकर लाखों भक्त हुए निहाल

महेश शर्मा पुरी, अमृत विचार। जय जगन्नाथ के गगनभेदी उद्घोष के बीच महाप्रभु अपने भाई व बहन के साथ गुंडिचा मंदिर पहुंच गए। तीन घंटे पहले महाप्रभु जगन्नाथ की रीति-नीति पूर्ण होने के कारण भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ दो घंटे पहले ही गुंडिचा मंदिर पहुंच गए। भक्तों की भारी भीड़ की …

महेश शर्मा
पुरी, अमृत विचार। जय जगन्नाथ के गगनभेदी उद्घोष के बीच महाप्रभु अपने भाई व बहन के साथ गुंडिचा मंदिर पहुंच गए। तीन घंटे पहले महाप्रभु जगन्नाथ की रीति-नीति पूर्ण होने के कारण भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ दो घंटे पहले ही गुंडिचा मंदिर पहुंच गए।

भक्तों की भारी भीड़ की संभावना के चलते शासन ने थोड़ी सख्ती दिखाई तो सेवायतों पहंडी बिजे करीब तीन घंटे पहले सम्पन्न करके तीनों विग्रहों को उनके रथों पर स्थापित कर दिया। गलियों में बैरिकेडिंग लगाकर भीड़ को नियंत्रित किया गया। छेरा पहरा के उपरांत पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलनन्द ने भी तीनों रथों की पूजा अर्चना की। यात्रा मार्ग के दोनों किनारे पर करीब तीन किमी की दूरी तक भारी संख्या भक्तजन अपने भगवान के दर्शन को प्रतीक्षारत हैं।

विश्व प्रसिद्ध महापर्व रथयात्रा महोत्सव दस दिन का होता है। नौ दिन भगवान मौसी मां के घर गुंडिचा में रहेंगे। रथों पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहिन सुभद्रा तथा सुदर्शन चक्र विराजमान हैं। रात भर मन्दिर के बाहर रहने के बाद शनिवार को विग्रहों को रथ से उतारकर गुंडिचा मन्दिर में स्थापित किया जायेगा। प्रथम सेवक गजपति महाराज छेरा पहरा यानी सोने की झाड़ू से रथ मार्ग बुहारने की परंपरा भी पूरी होते ही जयघोष हुआ।

लाखों की संख्या भक्तजन अभी भी पुरी छोड़ने के मूड में नहीं दिखते हैं। भोर चार बजे से श्रीमन्दिर के सिंह द्वार पर खड़े नन्दीघोष, तालध्वज और दर्पदलन रथ के मार्ग को महिलाएं श्रद्धापूर्वक बुहारने में जुटी थीं। भजन कीर्तन की टोलियों के आगमन और रथ मार्ग पर नारियल फोड़कर दीप प्रज्ज्वलित किये जा रहे थे।

सामान्य समय में लाखों लोग ‘आषाढ़ी बीज’ के दिन रथयात्रा के मार्ग में देवताओं और जुलूस की एक झलक पाने के लिए इकट्ठा हुए हैं, जिसमें सजे-धजे हाथी और कई झांकियां शामिल हुईं। कोरोना महामारी के बाद दो साल बाद हुई भक्तमय रथ यात्रा की अनुमति दी गई है। पहले बिना भक्तों के ही यात्रा की रस्मअदायगी रही।

ओडिशा के गवर्नर प्रो. गणेशी लाल, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान, रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव समेत कई मंत्रियों व अधिकारियों भगवान के रथ को आगे बढ़ाने में रस्सा खींचा।

इधर, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार रात केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ पुरी रेलवे स्टेशन पर जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारी का निरीक्षण किया। गजपति महाराजा दिब्यसिंह देब ने कहा कि भगवान जगन्नाथ का सबसे बड़ा त्योहार रथ यात्रा है जो हर साल होती है। पिछले दो वर्षों से भक्तों की भागीदारी महामारी के कारण वर्जित थी, लेकिन इस वर्ष अनुमति दी गई है।

पांच लाख का बीमा
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मुद्देनजर ओडिशा सरकार ने रथयात्रा के दौरान भगदड़ की आशंका को देखते हुए श्रद्धालुओ का पांच-पांच लाख रुपये का बीमा किए जाने का फैसला किया है।

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