बरेली: जिला महिला अस्पताल में आने वाली हर चौथी महिला थायराइड से पीड़ित

बरेली: जिला महिला अस्पताल में आने वाली हर चौथी महिला थायराइड से पीड़ित

अमृत विचार, बरेली। जिले में लगातार गर्भवती महिलाएं थायराइड का शिकार हो रही हैं । जिला महिला अस्पताल के लेबर रूम में आने वाली हर चौथी महिला थायराइड से ग्रसित मिल रही है। डाक्टरों के अनुसार जब गले में पाई जाने वाली थायराइड ग्रंथि सामान्य कार्य करना बंद कर देती है, तब थायराइड की समस्या …

अमृत विचार, बरेली। जिले में लगातार गर्भवती महिलाएं थायराइड का शिकार हो रही हैं । जिला महिला अस्पताल के लेबर रूम में आने वाली हर चौथी महिला थायराइड से ग्रसित मिल रही है। डाक्टरों के अनुसार जब गले में पाई जाने वाली थायराइड ग्रंथि सामान्य कार्य करना बंद कर देती है, तब थायराइड की समस्या होती है।

तितली के आकार की यह ग्रंथि वोकल कॉर्ड के नीचे और गले के सामने वाले भाग में पाई जाती है। दरअसल, थायराइड शरीर में मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करती है। थायराइड ग्रंथि में एक तरह का गाढ़ा द्रव्य पाया जाता है। इसी गाढ़े द्रव्य में थायराइड हार्मोन पाए जाते हैं। थायराइड हार्मोन विभिन्न रासायनिक पदार्थों को इकट्ठा करके रक्त में भेजने का काम करते हैं।

वरिष्ठ फिजिशियन डा. वागिश वैश्य ने बताया कि अधिक तनावपूर्ण जीवन जीने से थायरॉइड हार्मोन की सक्रियता पर असर पड़ता है। आहार में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने से थायरॉइड ग्रंथियां विशेष रूप से प्रभावित होती हैं। यह रोग अनुवांशिक भी हो सकता है। यदि परिवार के दूसरे सदस्यों को भी यह समस्या रही है तो इसके होने की आशंका रहती है। थायराइड बीमारी दो प्रकार की होती है। एक हाइपर थायराइड और दूसरी हाइपो थायराइड। थायराइड के उपचार के लिए रक्त में टीएसएच और थायराइड हार्मोन की जांच की जाती है। पीड़ितों को हर तीन माह में थायराइड की जांच कराते रहना चाहिए।

पुरुषों में तुलना में महिलाएं अधिक चपेट में
जिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. शैव्या ने बताया कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में थायरॉयड का खतरा अधिक रहता है। अस्पताल में आने वाली 10 गर्भवती महिलाओं में से दो से तीन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान थायराइड की समस्या का पता चलता है। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के पहले महीने में ही थायराइड सहित सभी जांच करानी चाहिए। महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड हार्मोन्स में असंतुलन देखा जाता है क्योंकि इस समय महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आते हैं। अगर सही दवा नहीं दी जाए तो बच्चे का विकास , ब्रेन में समस्या और गर्भवती का गर्भपात तक हो सकता है।

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