मेनहर्ट घोटाला में सरकार ठोस कारवाई नहीं करती है तो बाध्य करने के लिये न्यायालय की शरण लेंगे : सरयू राय
रांची। झारखंड के पूर्व मंत्री और जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कहा है कि अगर झारखंड सरकार 21 मई, 2022 तक मेनहर्ट घोटाला में दोष सिद्ध अभियुक्तों के विरूद्ध मुक़दमा चलाने की ठोस कारवाई नहीं करती है तो वे सरकार को बाध्य करने के लिये न्यायालय की शरण लेंगे। राय ने यहां रविवार …
रांची। झारखंड के पूर्व मंत्री और जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कहा है कि अगर झारखंड सरकार 21 मई, 2022 तक मेनहर्ट घोटाला में दोष सिद्ध अभियुक्तों के विरूद्ध मुक़दमा चलाने की ठोस कारवाई नहीं करती है तो वे सरकार को बाध्य करने के लिये न्यायालय की शरण लेंगे। राय ने यहां रविवार को कहा है कि मेनहर्ट घोटाला में झारखंड उच्च न्यायालय ने अब तक दो बार स्पष्ट आदेश दिया है कि “आवेदक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के आयुक्त/ सचिव के पास वाद दायर करने जाएँ, यदि मामले में तथ्य होगा तो ब्यूरो कारवाई करेगा।
” ब्यूरो द्वारा प्रारम्भिक जाँच की गई। जाँच में अभियुक्त चिन्हित हो गये, उनका दोष सिद्ध हो गया। जाँचकर्ता ने 6 माह पहले जाँच प्रतिवेदन सौंप दिया है। तत्कालीन नगर विकास मंत्री दोषी पाये गये हैं। उनका नाम अभियुक्तों की सूची में पहले नंबर पर है। ब्यूरो के वरीय अधिकारियों के पास प्राथमिकी दर्ज कर कारवाई करने की संचिका तब से लंबित है। राय ने कहा कि उन्होंने यह मामला विधानसभा में अल्प सूचित प्रश्न के माध्यम से उठाया था।
गत 20 मार्च के दिन सरकार का उत्तर देते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने सदन को सूचित किया कि दो माह के भीतर सरकार दोष सिद्ध अभियुक्तों के विरूद्ध कार्रवाई कर देगी। आज 15 मई है। दुखद है कि विधानसभा में सरकार का आश्वासन पूरा होने में एक सप्ताह से भी कम समय रह गया है। लगता है सरकार इस मामले में दबाव में है। उन्होंने कहा है कि इस विषय पर उन्होंने एक पुस्तक लिखी है जिसका नाम है- लम्हों की ख़ता।
इस पुस्तक में मैंने प्रमाण के साथ घोटाले का ब्यौरा दिया है। यह पुस्तक सभी दलों के नेताओं को दी गई है। किसी ने इसमें लिखित एक भी आरोप का खंडन आज तक नहीं किया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भी मैंने यह पुस्तक ब्यूरो की डीजीपी से मिलकर दिया है। फिर भी सरकार जाँच हो जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रही है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है और प्राकृतिक न्याय के विरूद्ध है। यह सरकार की भ्रष्टाचार के विरूद्ध कारवाई करने में हीला हवाला करने का परिचायक है।
राय ने कहा कि यदि विधान सभा में दिया गया सरकार का आश्वासन 21 मई 2022 तक पूरा नहीं होता है तो मैं इस मामले में न्यायालय की शरण लूँगा और संसदीय कार्य मंत्री के विरूद्ध विधानसभा की अवमानना का नोटिस विधानसभा अध्यक्ष को दूँगा।
यह भी पढ़ें-छत्तीसगढ़ : जवानों ने इनामी नक्सली को किया गिरफ्तार