रायबरेली: पचास साल पुराने अस्पताल में दस वर्षों से लटक रहा ताला, रिपोर्ट तलब

रायबरेली। सरेनी बाजार में करोड़ों रुपयों की लागत से बने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में दस वर्षों से ताला लटक रहा है। करीब पचास साल पुराने इस अस्पताल का निर्माण पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी ने करवाया था। सरेनी के आसपास की करीब तीस हजार की आबादी के लिए बना स्वास्थ केंद्र बंद पड़ा है। इसे …
रायबरेली। सरेनी बाजार में करोड़ों रुपयों की लागत से बने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में दस वर्षों से ताला लटक रहा है। करीब पचास साल पुराने इस अस्पताल का निर्माण पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी ने करवाया था।
सरेनी के आसपास की करीब तीस हजार की आबादी के लिए बना स्वास्थ केंद्र बंद पड़ा है। इसे पुनः संचालित करने के लिये लोग मुख्य चिकित्साधिकारी से भी मिले किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई ही।
वर्ष 1971 में सरेनी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरागांधी के कार्यकाल में कराया गया था। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ सेवाओं को सुलभ कराने के उद्देश्य से बना यह अस्पताल अब अपने अस्तित्व के लिए जद्दीजहद कर रहा है। लखनापुर ग्रामपंचायत की भूमि पर बने इस स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च हुए थे। वर्ष 2012 में इसे उच्चीकृत कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने का फैसला किया गया।
किन्तु स्थान की कमी होने की वजह से लगभग चार किलोमीटर दूर गोविन्दपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण करा दिया गया।यहां के स्टाफ को वर्ष 2013 में सीएचसी, स्थानांतरित कर दिया। तब से इसमें ताला लटका हुआ है। स्थानीय नागरिकों ने कांग्रेस नेता सुंदरसिंह के नेतृत्व में वर्ष 2019 में मुख्य चिकित्साधिकारी से मुलाकात की व प्राथमिक उपचार की कुछ सेवाएँ इसमें बहाल किये जाने की मांग की थी।
स्थानीय लोगों की मांग है कि इस अस्पताल में कम से कम प्राथमिक उपचार की व्यवस्था हो जाए।मुख्यचिकित्साधिकारी ने सभी को वहाँ पर एक चिकित्सक की तैनाती व कुछ दवाएँ उपलब्ध कराने का भरोसा भी दिया था। उसके बाद छः माह तक यह व्यवस्था रही। किन्तु उसके बाद यहाँ फिर से ताला लग गया है।
ग्रामीणों ने करोड़ों रुपयों की लागत से बनी इस इमारत में प्राथमिक उपचार की सुविधाओं को बहाल किये जाने की मांग मुख्यमंत्री से की है ताकि सरेनी व आस पास के गाँव के लोगों को इलाज के लिए इधर उधर न भटकना पड़े। इस संबंध में सीएमओ डा वीरेंद्र सिंह का कहना है कि बंद पीएचसी के बारे में स्थानीय चिकित्साधिकारी से रिपोर्ट तलब करके कार्रवाई की जायेगी।
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