IIT-BHU में पहली बार पड़ी नयी परंपरा, सनातन परंपरा के अनुसार मनाया गया 10वां दीक्षांत समारोह, ब्रिटिश ड्रम बीट की जगह वैदिक मंत्रों से गूंजा हॉल

वाराणसी। भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी स्थित आईआईटी बीएचयू में इतिहास रचा गया। यहां पर 10वां दीक्षांत समारोह की इसकी शुरुआत वैदिक मंत्रों के साथ हुई। 70 सालों के इतिहास में IIT-BHU वो एकमात्र पहला संस्थान है, जहां पर दीक्षांत समारोह में सनानती पद्धति की झलक दिखी है। सबसे अनोखी बात ये रही कि छात्र …
वाराणसी। भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी स्थित आईआईटी बीएचयू में इतिहास रचा गया। यहां पर 10वां दीक्षांत समारोह की इसकी शुरुआत वैदिक मंत्रों के साथ हुई। 70 सालों के इतिहास में IIT-BHU वो एकमात्र पहला संस्थान है, जहां पर दीक्षांत समारोह में सनानती पद्धति की झलक दिखी है। सबसे अनोखी बात ये रही कि छात्र यहां पर पीले रंग का कुर्ता-पजामा पहने नजर आ रहे थे वहीं छात्राएं साड़ी-सदरी पहने हुए थीं।
ये दृश्य अनोखा और अद्भुत लग रहा था। यहां का माहौल बिलकुल वैसा था जैसे किसी गुरुकुल में छात्र शिक्षा हासिल करता है। प्रोफेसर्स भी पारंपरिक परिधान में नजर आ रहे थे। वेस्टर्न कल्चर के नाम पर आईटी बीएचयू में न तो गाउन-हैट था न ही शर्ट, स्कर्ट और न ही ब्रिटिश ड्रम बीट की गूंज। भारत के अब तक के विश्वविद्यालयी परंपरा में इसे नई शुरुआत माना जा रहा है। इस दौरान विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित समारोह में इसरो के चेयरमैन सोमनाथ एस, तेजस एयरक्राफ्ट के निर्माता कोटा डॉ. हरिनारायाण और निदेशक समेत पूरा शिष्ट मंडल मंच पर था। इस माहौल को देखकर हर ओर खुशी का माहौल दिख रहा था।
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