बाराबंकी: नालों की बदहाली से किसानों के खेतों में नहीं पहुंच रहा पानी, सिंचाई के लिये तरस रहे खेत

बाराबंकी: नालों की बदहाली से किसानों के खेतों में नहीं पहुंच रहा पानी, सिंचाई के लिये तरस रहे खेत

बाराबंकी। नहरों की नालियां कभी किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का मुख्य साधन होती थीं। अब ऐसा नहीं है। अधिकांश नालियों को लोगों ने पाट रखा है। कहीं चकरोड बन गए हैं तो कहीं खेत। नहर में पानी आने के बावजूद नालियों के अभाव में किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंच पाता है। …

बाराबंकी। नहरों की नालियां कभी किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का मुख्य साधन होती थीं। अब ऐसा नहीं है। अधिकांश नालियों को लोगों ने पाट रखा है। कहीं चकरोड बन गए हैं तो कहीं खेत। नहर में पानी आने के बावजूद नालियों के अभाव में किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंच पाता है।

कहीं-कहीं नालियों की लंबाई एक से दो किलोमीटर तक है। पहले नहरों की तरह ही नालियों की भी सफाई हुआ करती थी, अब ऐसा नहीं है। नहरों का पानी नदियों में बह जाता है।

दरियाबाद ब्लॉक क्षेत्र में न नहरों की कमी है और न ही उससे निकली नालियों की। मगर विभागीय उदासीनता से नहर से जुड़ी नालियों का अस्तित्व खतरे में है। किसानों के खेतों के सिंचाई का जरिया नहरों की नालियां ही हैं। लेकिन देख रेख के आभाव में आज बदहाल हो चुकी है।

क्षेत्र में नहर से सटे किसान जैसे-तैसे खेतों की सिंचाई कर लेते हैं, लेकिन दूर वाले किसानों के समक्ष मुसीबत है। वे नहर के पानी का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में महंगा डीजल खरीदकर किसानों को खेतों की सिंचाई करनी पड़ती है।

बने नालियां तो यह होंगे फायदे  

पूर्व की अपेक्षा अब नहरों में ज्यादा समय तक पानी आता है। लेकिन किसानों के खेत मे नहर का पानी न  पहुंचने से जहां किसान फसल की सिंचाई को लेकर ट्यूबेल का सहारा लेते है तो वही सिचाईं में पृथ्वी के अंदर का स्वच्छ जल दोहन होता है। जो भविष्य में पेयजल संकट की समस्या पैदा कर सकता है। वहीं किसानों को महंगे डीजल का उपयोग कर सिचाईं करनी पड़ती है। जिससे किसान भी परेशान है। अगर नहर की नालियों को सही किया जाए तो जहां एक तरफ स्वच्छ जल का दोहन थमेगा।

वहीं किसानों की मुश्किलें भी कम होंगी।सिंचाई विभाग यदि नहरों से जुड़ी नालियों को चालू करा दे तो नहरें कटने से बच जाएंगी। नालियों में पानी न आने पर फसलों को सूखता देख किसान नहरों को जगह-जगह काट देते हैं ताकि उनकी फसल हरा-भरा रहे। खेतों में अधिक पानी पहुंच जाने से फसलें भी बर्बाद हो जाती हैं। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।

किसान बोले, आना चाहिए पानी 

क्षेत्र के किसान अरुण का कहना है कि पहले नहरों से जुड़ीं नालियां भी पानी से लबालब हुआ करते थे। किसान जरूरत के हिसाब से खेतों की सिंचाई कर लेते थे। अब ऐसा नहीं है। नालियां टूट कर पट गयी है। किसान जगजीवन ने बताया कि नालियों के माध्यम से आखिरी छोर तक पानी पहुंच जाता था। इसका अस्तित्व खत्म होने से समस्या खड़ी हो गई है।

राधेश्याम ने बताया कि नालियों की पटाई हो जाने से किसानों के सिंचाई का माध्यम छीन गया। किसान राम सहारे वर्मा ने बताया कि 1970 में इन नालों का निर्माण हुआ था । आज जगह जगह टूट गए हैं और नालियों के पट जाने से सिंचाई के समय पानी खेतों तक नही पहुँच पाता जिससे किसान ट्यूबेल का सहारा लेते है ।  वहीं कुछ किसानों ने मौखिक बताया की सरकार  किसानों से सिचाईं ले  नहर का पानी खेतो तक पानी पहुँचेगा तब भी किसान की खेती  फायदेमंद होगी ।

अधिशासी अभियंता बोले चुनाव में व्यस्त हूं

जब इस विषय पर अधिशासी अभियंता बाराबंकी राकेश कुमार वर्मा से बात की गई तो उन्होंने चुनाव में व्यस्त होने की बात बोलकर फोन काट दिया ।

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