उत्सर्जन में कटौती

उत्सर्जन में कटौती

विनाशकारी जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण मनुष्य ही है। इससे पर्यावरण को असाधारण नुकसान हुआ है। पृथ्वी रेड अलर्ट पर है। दुनिया जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान का समाधान खोजने में जुटी है। मंगलवार को जारी इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार उत्सर्जन में कमी करने का दुनिया के पास …

विनाशकारी जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण मनुष्य ही है। इससे पर्यावरण को असाधारण नुकसान हुआ है। पृथ्वी रेड अलर्ट पर है। दुनिया जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान का समाधान खोजने में जुटी है। मंगलवार को जारी इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार उत्सर्जन में कमी करने का दुनिया के पास अब तक का बेहतरीन मौका है। राहत की बात है कि दुनिया ने पिछले एक दशक में उत्सर्जन में कमी पर प्रगति की है।

2010 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि दर 1.3 प्रतिशत हो गई, जबकि 2000 के दशक में यह 2.1 प्रतिशत थी। लेकिन वैश्विक उत्सर्जन रिकॉर्ड ऊंचाई पर बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रिपोर्ट पर कहा कि अगर तमाम देशों की सरकारें अपनी ऊर्जा नीतियों का पुनः आकलन नहीं करेंगी तो दुनिया ‘ग़ैर आबाद’ बन जाएगी, यानि मनुष्यों के रहने योग्य नहीं रह जाएगी।

आईपीसीसी का कहना है कि 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन को आधा करना व्यवहार्य और हासिल करने योग्य है। लेकिन इसके लिए सभी क्षेत्रों, देशों और सरकार के स्तरों पर जलवायु नीति में तत्काल परिवर्तन की आवश्यकता है। अमीर देशों को कार्बन उत्सर्जन में तेजी से कटौती करनी चाहिए।

वैश्विक स्तर पर दुनिया की कुल आबादी में 10 प्रतिशत सबसे धनी लोग 47 प्रतिशत तक कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। इनमें भी सर्वाधिक धनी एक प्रतिशत 15 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। बीच की 40 प्रतिशत आबादी 43 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है इसलिए इस समूह का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन कमोबेश वैश्विक औसत जितना है। सर्वाधिक गरीब 50 प्रतिशत लोग केवल 10 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। यानि बदलाव का अभियान दुनिया की 10 प्रतिशत सबसे धनी आबादी पर केंद्रित होना चाहिए।

चिंताजनक रूप से, दुनिया की मौजूदा नीतियों ने हमें 80 वर्षों के भीतर ग्लोबल वार्मिंग के मार्ग पर 2.2 डिग्री सेल्सियस और 3.5 डिग्री सेल्सियस के बीच रखा है। हालांकि 36 देशों ने एक दशक से अधिक समय में सफलतापूर्वक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती की है। लेकिन इस दशक में उत्सर्जन को आधा करने के लिए और बहुत कुछ किया जाना चाहिए।

जलवायु परिवर्तन के बुरे परिणामों से बचना है तो हमें पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली रखने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इनमें कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए अनिवार्य उत्पादन मानक तय करना, पर्यावरण के अनुकूल सुरक्षित उत्पादों को बढ़ावा देना और कार्बन उत्सर्जन की मात्रा दिखाने के लिए उत्पादों पर लेबल लगाना आदि शामिल होना चाहिए।