मुरादाबाद : ‘कड़कनाथ’ खोल सकते हैं आपकी तकदीर का दरवाजा, जिले में कई किसान प्रशिक्षण लेने के बाद कर रहे हैं कारोबार
अविक सिंह, अमृत विचार । कड़कनाथ मुर्गा किसानों को लखपती बना रहा है। जिसके चलते जनपद के किसान भी कड़कनाथ मुर्गा पालन में दिलचस्पी ले रहे हैं। मुर्गा पालन से कुछ किसान तो एक से डेढ़ लाख रुपये भी कमा चुके हैं। मुर्गे की यह प्रजाती मध्य प्रदेश में पाई जाती है। इसे कालीमासी के …
अविक सिंह, अमृत विचार । कड़कनाथ मुर्गा किसानों को लखपती बना रहा है। जिसके चलते जनपद के किसान भी कड़कनाथ मुर्गा पालन में दिलचस्पी ले रहे हैं। मुर्गा पालन से कुछ किसान तो एक से डेढ़ लाख रुपये भी कमा चुके हैं। मुर्गे की यह प्रजाती मध्य प्रदेश में पाई जाती है। इसे कालीमासी के नाम से भी जाना जाता है। इस मुर्गा का मांस स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। क्योंकि इसमें 26 प्रतिशत आयरन और 18 से 20 प्रतिशत प्रोटीन होता है। जबकि सामान्य मुर्गों में 13 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है। अब जिले में भी पालन के लिए सरकार की योजना फलीभूत हो रही है।
मनोहरपुर स्थित जार्डस में दो सौ से अधिक मुर्गियों का पालन किया जा रहा है। जहां पर किसानों को इनके पालन और कारोबार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिससे इसकी पैदावार को बढ़ाया जा सका। यह मुर्गा एक तरह से जैविक होता है। क्योंकि यह खाने में मक्का, बाजार, गेंदे का फूल, बरसीम, प्याज और मटर के छिलकों का सेवन करता है। यही वजह है कि खाने में सबसे अधिक पौष्टिक होता है।
कड़कनाथ का मांस दिल के रोगियों के लिए भी फाएदेमंद होता है। इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है और आयरन, प्रोटीन अधिक मात्रा में होती है। इस मुर्गे का मांस और हड्डियां दोनों ही अलग रंग की होती हैं। वहीं, कड़कनाथ मुर्गे का वजन लगभग 1.8 से लेकर 2 किलोग्राम तक होता है। सामान्य मुर्गों के मुकाबले ये काफी पौष्टिक, सेहतमंद, औषाधीय गुणों से भरपूर और स्वादिष्ट होता है।
इतने दिन में तैयार होता है बच्चा
मनोहरपुर ममें हैचरी भी लगाई गई। जिसमें 30 डिग्री के तापमान से चुजे तैयार किए जा रहे हैं। इन्हें तैयार करने में करीब 21 दिन का वक्त लगता है। एक चुजा 50 रुपये तक का बिकता है। अंडा 30 रुपये का मिलता है।
कैसे लें योजना का लाभ
मनोहरपुर में जार्डस में किसानों को छह दिन का मुर्गा पालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। जिसके बाद किसान को प्रमाण-पत्र भी दिया जाता है। जिससे वह लोग कारोबार करने के लिए बैंक से लोन ले सकते हैं। साथ ही अपना व्यापार भी कर सकते हैं। इसमें किसानों को सरकार द्वारा सब्सीडी भी दी जाती है।
पैदावार पर दिया जा रहा जोर
कड़कनाथ मुर्गों का पालन भी दूसरी प्रजाति के मुर्गों की तरह ही किया जा सकता है। इनके खान-पान में भी ज्यादा खर्च नहीं आता है। ये हरा चारा, बरसीम, बाजरा आदि खाकर तेजी से बढ़ते हैं। कड़कनाथ मुर्गी पालन फार्म गांव या शहर से थोड़ी दूरी पर होना बेहतर होता है। इसके लिए पोल्ट्री फार्म में रोशनी और पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो चाहिए। सरकार भी लोगों को मुर्गी पालन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। साथ ही प्रजाती की पैदावार पर भी जोर दिया जा रहा है।
छह माह से मुर्गी पालन किया जा रहा है। इसके साथ ही जनपद और अगरा समेत अन्य किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। जिससे किसान भी कारोबार कर सके। इसके अंड्डे 30 और चुजा 50 रुपये का बिक रहा है। अभी तक तीन से चार लाख का कारोबार हुआ है। – डा. दीपक मेंदीरत्ता, नोडल अधिकारी, जॉर्डस
तीन माह से कड़कनाथ मुर्गे का पालन कर रहा हूं। करीब 350 मुर्गे हैं। इसके पालन के लिए पहले प्रशिक्षण लिया। उसके बाद पालन शुरू किया। मौजूदा समय में करीब एक से डेढ़ लाख रुपये कमाया है। यह किसानों के लिए बहुत ही शानदार कारोबार है। -ब्रज राज सिंह, किसान, निवासी छजलैट
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