बड़ी चुनौती

बड़ी चुनौती

योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। कैबिनेट में मुख्यमंत्री और दो उप-मुख्यमंत्री समेत 52 को स्थान मिला है। यूं तो पिछले पांच वर्ष में योगी आदित्यनाथ के सामने कई तरह की चुनौतियां आईं, लेकिन वह हर चुनौती से पार पाने में सफल रहे। …

योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। कैबिनेट में मुख्यमंत्री और दो उप-मुख्यमंत्री समेत 52 को स्थान मिला है। यूं तो पिछले पांच वर्ष में योगी आदित्यनाथ के सामने कई तरह की चुनौतियां आईं, लेकिन वह हर चुनौती से पार पाने में सफल रहे। राज्य में पिछले पांच सालों में कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री को सराहा गया।

सख्त छवि ने उन्हें कुशल प्रशासक के तौर पर स्थापित किया और राज्य की जनता ने चुनाव में उन पर विश्वास जताया। योगी का दूसरा कार्यकाल चुनौतीपूर्ण होने वाला है। जनता के विश्वास पर खरा उतरना बड़ी चुनौती होगा। योगी ने स्वयं कहा है कि इस बार उनकी प्रतिस्पर्धा स्वयं से है। 2017 मेंं विधानसभा के पूरे चुनाव में मुख्यमंत्री के तौर पर उनका नाम दूर-दूर तक नहीं सुनाई पड़ा था।

कहा जाता है कि संघ और संतों ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भाजपा में पैरवी की थी। लोकसभा चुनाव-2019 में भाजपा उत्तर प्रदेश में 62 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही। इसके बाद राज्य में योगी आदित्यनाथ और ज्यादा मजबूत होकर उभरे।

योगी हमेशा दावा करते हैं कि राज्य में पीएम नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली ‘डबल इंजन’ सरकार से विकास हो रहा है और उनका कहना है कि आगे भी विकास की गति में तेजी आएगी। इस बार के विधानसभा चुनावों के दौरान जारी संकल्प पत्र के वादे पूरा करने की चुनौती उनके सामने बनी रहेगी।

इस बार बड़ी बात यह है कि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा से इस्तीफा देकर राज्य की राजनीति में ही सक्रिय रहना तय किया है। मतलब यह कि इस बार दमदार विपक्ष सामने रहेगा। किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली और गन्ना किसानों को 14 दिनों में भुगतान का वादा पूरा करना भी आसान नहीं है।

गन्ना किसानों का पांच हजार करोड़ से अधिक बकाया तो अभी ही है। अगले पांच वर्षों में रोजगार सृजन के साथ पारदर्शी परीक्षा कैसे सुनिश्चित होगी। इस पर सबकी नजर रहेगी। पुरानी पेंशन बहाली पर बीजेपी पूरे चुनाव में घिरती नजर आई थी। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा इसलिए भी चुनौतीपूर्ण है कि राजस्थान-छत्तीसगढ़ पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा कर चुके हैं।

छुट्टा पशुओं के मामले में अब संकेत हैं कि प्रधानमंत्री मोदी छत्तीसगढ़ सरकार वाला मॉडल लागू कर गोबर गैस को बढ़ावा देना चाहते हैं। कहा जा सकता है कि राज्य में जनता से जुड़े फैसले करते समय नई सरकार की नजर 2024 पर भी होगी।