बड़ा मुद्दा

बड़ा मुद्दा

रोजगार और देश की अर्थव्यवस्था का समूचा ढांचा एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। रोजगार सबसे बुनियादी और अहम समस्या है। रोटी, कपड़ा, घर, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि रोजगार से ही जुड़े हैं। हकीकत है कि एक ओर बेरोजगारी के आंकड़े ऊंचाई छू रहे हैं और दूसरी ओर सरकारी विभागों में लाखों पद खाली पड़े हैं। …

रोजगार और देश की अर्थव्यवस्था का समूचा ढांचा एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। रोजगार सबसे बुनियादी और अहम समस्या है। रोटी, कपड़ा, घर, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि रोजगार से ही जुड़े हैं। हकीकत है कि एक ओर बेरोजगारी के आंकड़े ऊंचाई छू रहे हैं और दूसरी ओर सरकारी विभागों में लाखों पद खाली पड़े हैं। हाल में जिन पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए थे, वहां सरकार बनने की प्रक्रिया इसी सप्ताह पूरी हो जाएगी।

बेशक इन चुनावों में बेरोजगारी मुद्दा नहीं बन पाया, लेकिन आने वाले विधानसभा-चुनावों और अंततः 2024 के आम चुनाव तक बेरोज़गारी अहम मुद्दा हो सकता है, क्योंकि धीरे-धीरे युवाओं में रोजगार को लेकर चिंता और आक्रोश बढ़ने लगा है। पिछले कुछ सालों में बाजार की बिगड़ती हालत और मंदी की आशंकाओं के बीच नौकरियों में कटौती की खबरें आम हैं।

देश में बेरोजगारी का डेटा जारी करने वाली संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर-दिसंबर 2021 की अवधि में बेरोजगारों की कुल संख्या 3.18 करोड़ रही। बता दें कि सीएमआईई द्वारा जारी किए जाने वाले डेटा का इस्तेमाल रिजर्व बैंक सहित केंद्र सरकार के कई विभाग भी करते हैं।

आज भी केंद्र सरकार के तहत करीब 8.72 लाख नौकरियां खाली पड़ी हैं। यदि केंद्र और राज्य सरकारों के आंकड़े मिला लिए जाएं, तो 60 लाख से अधिक पद रिक्त पड़े हैं। सरकारें इन रिक्तियों पर भर्ती क्यों नहीं करतीं? ये पद तो स्वीकृत होंगे और उनका बजट भी तय हो चुका होगा, फिर भी साल-दर-साल बेरोज़गारी क्यों बढ़ती जा रही है? हालांकि यह भी एक तथ्य है कि कई कंपनियों को अच्छे कर्मचारी नहीं मिल पा रहे हैं। यह हमारी व्यवस्था और कौशल विकास के अधूरेपन का दोष है।

हालांकि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव के समय सरकार बनने की स्थिति में युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराने का जो वादा किया है, उसे पूरा कराने के लिए अब विशेष रूप से तैयारियां शुरू कर दी हैं। नई सरकार युवाओं को स्टार्टअप्स के जरिए रोजगार के मौकों को उपलब्ध कराने पर जोर देने की तैयारी में है।

प्रदेश में 100 नए इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इन इंक्यूबेटर्स के जरिए करीब 10 हजार नए स्टार्टअप्स और स्थापित किए जाएंगे, जिससे 50 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और 1 लाख लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। कुल मिलाकर देश में 36 राज्य और संघ शासित प्रदेश हैं। यदि एक राज्य औसतन 20,000 नौकरियां निकाले, तो 7 लाख से ज्यादा रिक्तियां तुरंत भरी जा सकती हैं।