अलीगढ़: ‘जल जीवन मिशन’ योजना की हुई शुरुआत, 115 गांव में जल्द पहुंचेगा स्वच्छ जल
अलीगढ़। केंद्र सरकार ने 2024 तक प्रत्येक राजस्व गांव के हर व्यक्ति तक स्वच्छ जल पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए जल जीवन मिशन योजना की शुरुआत की गई है। इसका मकसद हर घर तक नल है। पिछले दिनों इस योजना में अलीगढ़ को शामिल किया गया था। जल जीवन मिशन के तहत …
अलीगढ़। केंद्र सरकार ने 2024 तक प्रत्येक राजस्व गांव के हर व्यक्ति तक स्वच्छ जल पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए जल जीवन मिशन योजना की शुरुआत की गई है। इसका मकसद हर घर तक नल है। पिछले दिनों इस योजना में अलीगढ़ को शामिल किया गया था। जल जीवन मिशन के तहत संचालित निर्माण कार्यों में जमकर अनियमितताएं हो रही हैं। कहीं बिना ज्वाइंट के पाइप लाइन बिछाई जा रही है तो कहीं पर पाइप की लंबाई ही कम डाली जा रही है। निर्माण कार्य के बाद मिट्टी व सड़क को ऐसी ही खुर्द-बुर्द कर छोड़ा जा रहा है। काम की रफ्तार भी सुस्त है। हालांकि, जल निगम के अधिशासी अभियंता ने सुधार के लिए जिम्मेदार कंपनी को नोटिस जारी कर कार्य में सुधार की चेतावनी दी है।
जल जीवन मिशन योजना की शुरुआत
शासन स्तर से इस योजना की जिम्मेदारी जल निगम को दी गई। पहले चरण में जिले के कुल 1138 गांव में से 384 गांव का चयन इसमें हुआ। इन गांव में निर्माण कार्य की जिम्मेदारी मुंबई की आयन एक्सेज इंडिया लिमिटेड को दी गई। एक गांव से औसतन डेढ़ से ढाई करोड़ तक की धनराशि खर्च हो रही है। कंपनी ने कुछ गांव में काम शुरू कर दिया है।
शासन स्तर से जल निगम के साथ ही इस योजना पर निगरानी रखने के लिए मेधज टेक्नो कांसेप्ट प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी को भी दे रखी है। इस कंपनी ने यहां पर जिला समन्वयक ईश्वर बी वानकर को नियुक्त कर दिया। पिछले दिनों ईश्वर बी वानकर जिले में निरीक्षण को निकले थे। इसमें काफी चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। निर्माण कार्य में लगी कंपनी को फरवरी तक जिले के कुल 45 कार्य स्थलों पर ट्यूबवेल संबंधित काम कराने थे, लेकिन अब तक जिले में महज 28 कार्य स्थलों पर ही काम शुरू हो पाया है। बिना ज्वाइंट के ही पाइप बिछाए जा रहे हैं। इससे भविष्य में चौक होने का खतरा रहेगा। निर्माण कार्य के बाद सड़क को भी समतल नहीं किया जा रहा है।
उपकरणों का अभाव
जिम्मेदार कंपनी पर तकनीकी उपकरणों का भी अभाव है। प्रत्येक कार्य स्थल पर जेसीबी मशीनें, रिंग मशीनें, कांपेक्टर, वाटर टैंक व ज्वाइंटिंग मशीनें होनी चाहिए, लेकिन कंपनी एक ही मशीन से कई-कई स्थलों पर काम कराया जा रहा है। वहीं, कंपनी द्वारा मौके पर स्वीकृत डीपीआर की हार्डकापी, डिजाइन ड्राइंग, क्यूएपी की हार्ड कापी व टेस्टिंग रिपोर्ट भी नहीं रखी है।
योजना में प्रत्येक गांव में एक वाटर हेड टैंक का निर्माण होना है। इसकी क्षमता गांव की आबादी के आधार पर तय की जाएगी। हर घर तक पाइपलाइन बिछाई जा रही है। इसके बाद पानी के लिए कनेक्शन वितरित होंगे।
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