यूरोपीय संघ के रक्षा समझौते में शामिल होने पर जनमत संग्रह करेगा डेनमार्क

हेलसिंकी। यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच डेनमार्क जून में इस बात को लेकर जनमत संग्रह करेगा कि उसे यूरोपीय संघ (ईयू) के रक्षा समझौते में शामिल होना चाहिए या नहीं। देश की पिछले 30 साल से ईयू की साझा सुरक्षा नीतियों से अलग रहने की नीति रही है। डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन …
हेलसिंकी। यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच डेनमार्क जून में इस बात को लेकर जनमत संग्रह करेगा कि उसे यूरोपीय संघ (ईयू) के रक्षा समझौते में शामिल होना चाहिए या नहीं। देश की पिछले 30 साल से ईयू की साझा सुरक्षा नीतियों से अलग रहने की नीति रही है।
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने रविवार देर रात कहा, ”ऐतिहासिक समय में ऐतिहासिक फैसले करने पड़ते हैं।” उन्होंने कोपेनहेगन में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ”नया समय, नई वास्तविकता की शुरुआत की है। यूक्रेन का संघर्ष केवल यूक्रेन का नहीं है। हम यूरोप के साथ एकजुट होकर खड़े हैं।” ईयू की साझा सुरक्षा नीति (सीएसडीपी) में शामिल होने को लेकर जनमत संग्रह एक जून को होगा।
यह पूछे जाने पर कि ईयू के संबंध में डेनमार्क की सुरक्षा नीतियों में इतना बड़ा बदलाव इस समय क्यों आवश्यक है, फ्रेडरिक्सन ने कहा, ”अब समय आ गया है कि पश्चिमी दुनिया में हर कोई खुद को तैयार करे ले।” उन्होंने कहा, ”यूक्रेन के कारण यह बदलाव आया है।
एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक देश पर रूस ने हमला कर दिया है।” उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में शामिल सभी दल जनमत संग्रह और उससे जुड़े कदमों का स्वागत कर रहे हैं। फ्रेडरिक्सन ने कहा कि डेनमार्क 2033 तक उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सकल घरेलू उत्पाद के दो प्रतिशत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सैन्य खर्च को भी बढ़ाएगा।