लखनऊ: साइबर अपराध से बचने के लिए विशेषज्ञों ने बताए तरीके, डीजी बोले- फ्रॉड होने पर तत्काल दें पुलिस को सूचना

लखनऊ: साइबर अपराध से बचने के लिए विशेषज्ञों ने बताए तरीके, डीजी बोले- फ्रॉड होने पर तत्काल दें पुलिस को सूचना

लखनऊ। आज के आधुनिक दौर में समाज की एक बड़ी आबादी इंटरनेट के जरिए अपना कार्य व व्यवसाय कर रही है। इतना ही नहीं बुजुर्ग, वयस्क यहां तक कि बच्चे भी दैनिक जीवन में बहुत से कार्य के लिए मोबाइल, कंप्यूटर तथा इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं, ऐसे में क्राइम का स्वरूप भी बदला …

लखनऊ। आज के आधुनिक दौर में समाज की एक बड़ी आबादी इंटरनेट के जरिए अपना कार्य व व्यवसाय कर रही है। इतना ही नहीं बुजुर्ग, वयस्क यहां तक कि बच्चे भी दैनिक जीवन में बहुत से कार्य के लिए मोबाइल, कंप्यूटर तथा इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं, ऐसे में क्राइम का स्वरूप भी बदला है। यही कारण है कि मौजूदा दौर में साइबर क्राइम के मामले अधिक देखे जा रहे हैं। साइबर क्राइम को कैसे कम किया जा सकता है या फिर साइबर क्राइम को कैसे डील किया जाए, इस बात पर ध्यान देना जरूरी है।

यह कहना है यूपीपीसीएल के डीजी एसएन साबत का। उन्होंने उक्त बातें राजधानी के गोमतीनगर स्थित एक निजी होटल में शनिवार को एसोचैम यूपी-यूके द्वारा आयोजित साइबर सुरक्षा शिखर सम्मेलन में लोगों को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में कई तरह के साइबर अपराध देखे जा रहे हैं। जिसमें ब्लैकमेलिंग, आर्थिक अपराध, फिरौती जैसे तमाम ग्रुप ऑफ क्राइम हो रहे हैं। इसको कैसे डील किया जाए, इस बात पर ध्यान देना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि साइबर फ्रॉड होने पर पहले का एक घंटा काफी मायने रखता है। आर्थिक नुकसान होते ही यदि 1 घंटे के भीतर इसकी जानकारी पुलिस तथा बैंक के साथ साझा कर ली जाए, तो आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है। उन्होंने गोल्डन आवर की बात करते हुए कहा कि 75 फ़ीसदी मामलों में देखा गया है कि एक घंटे के अंदर पुलिस से शिकायत करने के बाद लोगों के पैसे वापस हुए हैं।

साइबर अटैक से बचने के लिए यूजर का जागरूक होना जरूरी: मिति सिन्हा

माइक्रोसॉफ्ट इंडिया मॉडर्न वर्क एंड सिक्योरिटीज की डायरेक्टर मिति सिन्हा की माने तो बहुत सारे तरह के साइबर अटैक देखे जा रहे हैं। इस अटैक से बचने का सबसे बेहतर तरीका यूजर का जागरूक होना जरूरी है। यदि यूजर जागरूक होगा। तो वह साइबर अटैक से बच जाएगा, उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोग मेल इस्तेमाल करते हैं और उनके मेल पर कई जानी-मानी कंपनियों के नाम के भी नकली मेल आते हैं।

इसमें बड़ी कंपनियों का नाम इस्तेमाल कर फर्जी मेल साइबर क्राइम करने वालों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में जो भी मेल आए यूजर को उस मेल की पूरी तहकीकात तथा जहां से वह मेल भेजा आया है,उसकी जानकारी होने पर ईमेल का रिप्लाई करना चाहिए। कुल मिलाकर फर्जी मेल से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि हमें अपने परिवार को भी साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करना चाहिए, साथ ही उन्हें सशक्त बनाना चाहिए।

अपटेड करते रहे ऐप

मिति सिन्हा की माने तो समय-समय पर मोबाइल अथवा कंप्यूटर पर मौजूद एप्लीकेशन को अपडेट करते रहना चाहिए।उन्होंने बताया कि एप्लीकेशन को अपडेट करने से काफी हद तक साइबर क्राइम को रोका जा सकता है।

कंपनी का एंटीवायरस करें प्रयोग: सुभाष सिंह

क्लोडसेक्ट के सीईओ सुभाष सिंह के मुताबिक यदि आप लोकल एंटीवायरस का प्रयोग कर रहे हैं तो भी साइबर अटैक के शिकार हो सकते हैं, उन्होंने कहा कि माइक्रोसाफ्ट खुद का एंटीवायरस देता है, उसके बाद भी लोग लोकल एंटीवायरस इस्तेमाल करते हैं। जिससे वह साइबर क्राइम के शिकार होते हैं। इसलिए हमेशा जांचा- परखा एंटीवायरस ही अपने डेस्कटॉप या लैपटॉप में प्रयोग करना चाहिए।

साइबर इंश्योरेंस जरूरी: सौम्या शुक्ला

मुंबई की साइबर इंश्योरेंस एक्सपर्ट सौम्या शुक्ला बताती है कि साइबर रिस्क कोरोना वायरस की तरह है, यह भी अपना स्वरूप बदलता रहता है ₹,आप साइबर क्राइम से बचने के लिए नई सिक्योरिटी बनाएंगे, तो यह उस पर अटैक करेगा। इस अटैक से उबरने के लिए प्रोटेक्शन जरूरी है और यह प्रोटेक्शन साइबर इंश्योरेंस ही दे सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक बैंक पर साइबर अटैक होता है, हालांकि उसका कोई आर्थिक नुकसान नहीं होता, लेकिन बैंक द्वारा साइबर अटैक का पता करने यानी कि यह अटैक कैसे हुआ, इसकी जानकारी करने के लिए उस बैंक को 6 करोड़ का खर्च करना पड़ा।

उन्होंने कहा कि साइबर इंश्योरेंस ना सिर्फ आर्थिक नुकसान से बचाता है,बल्कि बहुत सारे खर्चे का दबाव भी नहीं पढ़ने देता। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में साइबर इंश्योरेंस का कॉस्ट ज्यादा है,लेकिन यह रिटेल इंडस्ट्रीज के लिए भी उपलब्ध है।